Page 8 - Mann Ki Baat - Hindi
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मुझे याद है, कई ्र्द पहले 2014 में मुझ े फकया है 2025 तक ्ीबी मुकत भारत,
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रायगि जाने, उस पफ्त् भफम को नमन बनाने का– लक्य बहुत बड़ा ज़रर है।
करने का सौभागय फमला िा। यह हम एक समय िा, जब ्ीबी का पता चलन े
सबका कर््दवय है फक इस अ्सर पर के बाद परर्ार के लोग ही दूर हो जात े
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हम ्त्पफत फश्ाजी महाराज के प्बनध िे, लफकन ये आज का समय है, जब
कौशल को जानें, उनसे सीिें। इसस े ्ीबी के मरीज़ को परर्ार का सदसय
हमारे भीतर हमारी फ्रासत पर ग््द बनाकर उनकी मदद की जा रही है।
का बोध भी जगेगा और भफ्ष्य के फलए इस क्य रोग को जड़ से समापत करन े
े
कत्दवयों की प्रणा भी फमलेगी। के फलए फन-क्य फमत्ों ने मोचा्द समभाल
फलया है। देश में बहुत बड़ी संखया में
मेरे पयारे देश्ाफसयो, आपने फ्फभन्न सामाफजक संसिाएँ फन-क्य
रामायण की उस ननहीं फगलहरी के बार े फमत् बनी हैं। गा्-देहात में, पंचायतों में,
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में ज़रर सुना होगा, जो रामसेतु बनान े हज़ारों लोगों ने िुद आगे आकर ्ीबी
में मदद करने के फलए आगे आई िी। मरीज़ों को गोद फलया है। फकतने ही बच् े
कहने का मतलब ये फक जब नीयत हैं, जो ्ीबी मरीज़ों की मदद के फलए
साफ़ हो, प्यासों में ईमानदारी हो, तो आगे आए हैं। ये जन-भागीदारी ही इस
फिर कोई भी लक्य कफिन नहीं रहता। अफभयान की सबसे बड़ी ताकत है। इसी
भारत भी आज इसी नेक नीयत से एक भागीदारी की ्जह से आज देश में 10
बहुत बड़ी चुनौती का मुकाबला कर रहा लाि से ज़यादा ्ीबी मरीज़ों को गोद
है। ये चुनौती है– ्ीबी की, फजसे क्य फलया जा चुका है और ये पुणय का काम
रोग भी कहा जाता है। भारत ने संक्प फकया है, क़रीब-क़रीब 85 हज़ार फन-क्य
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