Page 77 - Mann Ki Baat - Hindi
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एक पेड़ िाँ क नाि
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                                   के.एन. राजसेखर
                                      तेलंगाना

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                                                                         े
              “जब हमारे दोृढ़ संकल्प और सामफहक भागीदोारी का संगम होता है, तो इससे पूर
          समाज के फलए अदो भुत पररणाम सामने आते हैं। इसका सबसे हाफलया उदोाहरण ‘एक
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          पेड़ माँ के नाम’ अफभयान है। यह एक अदो भुत अफभयान है। जनभागीदोारी का ऐसा
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          उदोाहरण वाकई प्रणादोायक है...”
                                   -प््धानमंत्ी नरन्द्र मोदोी ‘मन की बात’ सम्बो्धन में
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              ऐसी  ही  एक  प्रणा  भद्राद्री   है। कई लोग मुझे मोक्काला राजशेखर
          कोठागुडेम फजले के प्कृफत प्मी के.एन.   कहते हैं। मैं कोठागुडेम (तेलंगाना) में
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          राजशेखर  हैं,  फजन्होंने  ‘पंद्रह  फदोवसीय   फसंगरेनी  सेंट्रल  वक्फशॉप  में  फिटर  के
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          वृक्ारोपण गफतफवफ्ध’ शुरू की, फजसमें   तौर पर काम कर रहा हँ। प्कृफत प्ेमी
          1,500 से अफ्धक पौ्धे लगाए गए।     बनने  की  मेरी  पहली  प्ेरणा  मेरे  फपता
              प्फतफदोन  एक  पेड़  लगाने  के  पी्छे   के. पांडु थे। 1980 के दोशक में जब मैं
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          की प्रणा और अफभयान में समदोाय की   11 साल का था, तब मेरे फपता ने मुझ  े
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          भागीदोारी तथा सहयोग के बारे में केएन   पौ्धों  के  लाभ  के  बारे  में  बताया  और
          राजशेखर के साथ साक्ात्कारः        इसी से मुझे पौ्धारोपण करने की प्रणा
                                                                      े
              आपको  प्फतफदोन  पेड़  लगाने  की   फमली। मेरे फपता द्ारा लगाए गए कु्छ
          प्रणा कहाँ से फमली और अफभयान का   पेड़ बड़े हो गए हैं और मुझे िल दोे रह  े
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          फवचार ककैसे आया?                  हैं। मैं सभी को बताना चाहता हँ फक अब
              मेरा नाम कोट्टुरी नूरवी राजशेखर   लगाए गए पेड़ भफवष्टय में हम सभी को

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