Page 40 - Mann Ki Baat - Hindi
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साव्रजमनक स्वास्थ् और् सम्ान का
क्ांततकार्ी बदलाव
स्वास््थ्यकारी और सामाफजक पररणामों
में पया्षप्त स्धार हुआ है।
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स्वच््छ भारत फमशन का सबस े
गहरा प्भाव मफहलाओं पर पड़ा है। लाखों
लोगों के फलए सुरफक्त स्वच््छता तक
पहँच फसि्फ स्वच््छता का मामला नहीं
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था। यह बफनयादोी गररमा और सुरक्ा का
एम. हरर मेनन सवाल था, जैसा फक माननीय प््धानमंत्ी
फनदोेशक, भारत, फबल एंड मेफलंडा गेट्स ने 2014 के स्वतत्ता फदोवस के भार्ण में
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िाउंडेशन फमशन की शुरुआत करते हुए उजागर
फकया था। स्वच््छ भारत फमशन से पहल े
दोस साल पहले भारत ने स्वच््छ मफहलाओं और लड़फकयों को अक्सर
भारत फमशन (एसबीएम) की शुरुआत खुले में शौच से जुड़े अपमान और
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के साथ एक अभूतपव्ष यात्ा शुरू की जोफखमों का सामना करना पड़ता था
थी। यह फमशन फसि्फ बड़े पैमाने पर और उन्हें अपनी सुरक्ा और स्वास््थ्य
स्वच््छता पहल से कहीं अफ्धक बन से समझौता करना पड़ता था। घरों,
गया। इसने भारत के साव्षजफनक साव्षजफनक स्थानों, स्कूलों और संस्थानों
स्वास््थ्य, मफहलाओं की गररमा और में लाखों शौचालयों के फनमा्षण ने यह
सामदोाफयक भागीदोारी के प्फत दोब्ष्टटकोण सफनब्श्चत फकया है फक मफहलाएँ और
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को बदोल फदोया। जब हम इन सभी लड़फकयाँ सुरक्ा और सम्मान के अपन े
आयामों में एक दोशक की प्गफत पर अफ्धकार को पुनः प्ाप्त कर सकती
फवचार करते हैं, तो यह स्पष्टट होता है फक हैं और दोफनक जीवन के सभी कायषों–
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स्वच््छ भारत फमशन ने एक सामाफजक पढ़ाई, कामकाज या यात्ा में सफक्रय
क्रांफत की शुरुआत की है, फजससे सभी रूप से भाग ले सकती हैं। इसके अलावा,
भारतीयों के फलए आफथ्षक, पया्षवरणीय, शौचालय फनमा्षण में भी मफहला समहों
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