Page 10 - MKV (Hindi)
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मंजूर जी : िकय सर। आपको बड़ी पीड़़ा भी िी और इस वजह
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प्रध़ानमत्री जी : अच़्ा ये पेंचसल- से आपको बड़ी मसशकलें होती िीं, वो भी
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सलटस व़ाल़ा क़ाम कैस़ा िल रह़ा है? आप कह रहे िे, लचकन अब तो पहि़ान
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मंजूर जी : बहुत अच् से िल रह़ा भी बन गई और 200 से ज़य़ा़्ा लोगों को
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है सर, बहुत अच् से, जब से सर आपन े रोजग़ार ्े रहे हैं।
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हम़ारी ब़ात, ‘मन की ब़ात’ में कही, सर मंजूर जी : जी सर... जी सर।
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तब से बहुत क़ाम बढ़ गय़ा सर और प्रध़ानमत्री जी : और नए एकसपेंशन
्ूसरों को भी रोजग़ार यह़ाँ बहुत बढ़़ा ह ै करके और 200 लोगों को रोजग़ार ्े रह े
इस क़ाम में। हैं, ये तो बहुत खुशी की खबर ्ी आपने।
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प्रध़ानमत्री जी : चकतने लोगों को मंजूर जी : केवल सर, यह़ाँ पर जो
अब रोजग़ार चमलत़ा होग़ा? िॉम्वर हैं सर, उनक़ा भी बहुत बड़़ा इसमें
मंजूर जी : अभी मेरे प़ास 200 पलस ि़ाय़्ा चमल़ा सर। तब से 2,000 क़ा ट्री
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हैं... बिते िे, अभी वही ट्री 5,000 तक पहि
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प्रध़ानमत्री जी : अरे व़ाह ! मुझे बहुत गय़ा सर। इतनी चडम़ांड बढ़ गई है इसमें
खुशी हुई। तब से..और इसमें अपनी पहि़ान भी बन
मंजूर जी : जी सर..जी सर...अभी गई है, इसमें बहुत से आडटिर हैं अपने प़ास
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एक-्ो महीने में इसको एकसपेंड कर सर, अभी मैं आगे एक-्ो महीने में और
रह़ा हँ और 200 लोगों को रोजग़ार बढ़ एकसपेंड करके और ्ो-ढ़ाई सौ, ्ो-ि़ार
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ज़ाएग़ा सर। ग़ाँव में चजतने भी लड़के-लड़चकय़ाँ हैं,
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प्रध़ानमत्री जी : व़ाह ! व़ाह ! ्चखए इसमें एडजसि हो सकते हैं, उनक़ा भी
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मंजूर जी... रोजी-रोिी िल सकत़ा है सर।
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मंजूर जी : जी सर... प्रध़ानमत्री जी : ्चखए मंजूर जी,
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प्रध़ानमत्री जी : मुझे बऱाबर य़ा् ह ै वोकल ़िॉर लोकल की त़ाकत चकतनी
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और उस च्न आपने मुझे कह़ा ि़ा चक जबर्सत है, आपने धरती पर उत़ार कर
ये एक ऐस़ा क़ाम है, चजसकी न कोई च्ख़ा च्य़ा है।
पहि़ान है, न सवयं की पहि़ान है और मंजूर जी : जी सर।
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हमें अपने हर ििाधन का पूरा
इसतिेमाल करना होगा। ये आतमवनभजार
भारति का भी मंत्र है, ्योंवक हम रब
लोकल की तिाकति पहचानेंगे, तिभी तिो
देश आतमवनभजार होगा।
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