Page 9 - MKV (Hindi)
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आपकी बड़ी प्रशंसक हैं। उनहोंने आपके   िौऱाहों, सड़कों और मसन्रों की सि़ाई
               ैं
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          चलए िकय प्ऱाइम चमचनसिर करके अपनी   के  चलए  अचभय़ान  िल़ाती  हैं।  ऐसे  ही,
          कल़ासमेटस जो हैं, लिर भी चलखव़ाए ि  े  तचमलऩाडु  की  वो  आच्व़ासी  मचहल़ाएँ,
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                                                                    े
          असल में।                          चजनहोंने  हज़ारों  इको-फ्रेंडली  िऱाकोि़ा
              प्रध़ानमत्री जी : व़ाह ! व़ाह ! अच़्ा   कपस चनय़ा्वत चकए, उनसे भी ्ेश ने खूब
                   ं
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          चबचिय़ां को आप मेऱा और ‘मन की ब़ात’   प्ररण़ा  ली।  तचमलऩाडु  में  ही  20  ह़ज़ार
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          के  श्ोत़ाओं  क़ा  खूब  स़ाऱा  आशीव़ा्व्   मचहल़ाओं ने स़ाि आकर वेललोर में ऩाग
          ्ीचजए।                            न्ी को पुनजजीचवत चकय़ा ि़ा। ऐसे चकतन  े
              सुनील जी : बहुत- बहुत शचक्रय़ा जी,   ही  अचभय़ानों  को  हम़ारी  ऩारी-शसकत  न  े
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          आपकी वजह से ्ेश की बचियों के िेहर  े  नेतृतव च्य़ा है और ‘मन की ब़ात’ उनके
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          पर लग़ात़ार मुसक़ान बढ़ रही है।    प्रय़ासों को स़ामने ल़ाने क़ा मि बऩा है।
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              प्रध़ानमत्री जी : बहुत-बहुत धनयव़ा्   स़ाचियो, अब हम़ारे स़ाि फ़ोन ल़ाइन
                   ं
          सुनील जी।                         पर एक और सज्जन मौज् हैं। इनक़ा
                                                                ू
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              सुनील जी : जी शचक्रय़ा।       ऩाम है, मंजूर अहम्। ‘मन की ब़ात’ में
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              स़ाचियो,  मुझे  इस  ब़ात  क़ा  बहुत   जमम-कशमीर की पेंचसल सलटस के ब़ार  े
          संतोष है चक ‘मन की ब़ात’ में हमने ्ेश   में बत़ाते हुए मंजूर अहम् जी क़ा चजक्र
          की  ऩारी  शसकत  की  सैकड़ों  प्ररण़ा़्ायी   हुआ ि़ा।
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          ग़ाि़ाओं क़ा चजक्र चकय़ा है। ि़ाहे हम़ारी   प्रध़ानमत्री जी : मंजूर जी, कैसे हैं
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          सेऩा  हो  य़ा  चिर  खेल  जगत  हो,  मैंन  े  आप?
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          जब  भी  मचहल़ाओं  की  उपलस्धयों  पर   मंजूर जी : िकय सर...बड़े अच् स  े
          ब़ात  की  है,  उसकी  खूब  प्रशंस़ा  हुई  है,   हैं सर।
          जैसे हमने ्त्ीसगढ़ के ्ेउर ग़ाँव की   प्रध़ानमत्री  जी  :  ‘मन  की  ब़ात’  के
                                                     ं
          मचहल़ाओं की िि़ा्व की िी। ये मचहल़ाए  ँ  इस 100वें एचपसोड में आपसे ब़ात करके
          सवयं सह़ायत़ा समूहों के जररए ग़ाँव के   मुझे बहुत अच़्ा लग रह़ा है।
             नारी शक्ति की ऊराजा ही विकविति भारति की प्ाणिायु है।




















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