Page 66 - Mann Ki Baat Hindi
P. 66

ं
                                                                  ं
                                          आमटत्रत करता है। इसी तरह मद्, तंत  ु
                                          और साथमा जैसे अनय प्रटसद्ध उपनयास
                                          संगीत, समाज और आधयाशतमकता जैस  े
                                          ट्वषयों की गहन पड़ताल करते हैं।
                                              उनहोंने कभी भी साटहशतयक प्र्वटत्तयों
                                                                    ृ
                                          का अनुसरण करने या टकसी आंदोलन

                                          में शाटमल होने का प्रयास नहीं टकया।
                                          इसके  ट्वपरीत  ्वे  अपने  ट्वश्वास  और
                                          अनुभ्वों को पूरी सतयटनष्ठा से टलखन  े
                                          पर एकाग् रहे। उनकी कहाटनयाँ मनष्य
                                                                     ु
                                          के  भीतरी  संघषषों  और  उन  मूलयों  को
                                          लेकर  बुनी  गईं  जो  उनहें  राह  टदखात  े
                                          हैं। पाठक उनकी पुसतकों से जुड़ सके
        प्रटतटबशमबत होता है। ्वे अतयत सा्वधानी   ्योंटक इनमें ्वही सच्ी भा्वनाएँ, प्रश्
                             ं
        से लेखन करते थे। अपनी पुसतक पूरी   और संघषमा थे टजनसे उनका हर टदन
        करने से पहले ्वे ्वषषों तक शोध में लग  े  सामना होता है।
        रहते।  उनके  उपनयास  अपने  सपष्ि      ्ुरसकार और ्हिान

        कथा-ट्वनयास और गहन ट्वचारों के टलए    भैरपपा को उनके लमब साटहशतयक
                                                               े
        जाने जाते हैं। उनकी स्वामाटधक चटचमात   जी्वन  में  उतककृष्ि  योगदान  के  टलए
        ककृटतयों में से एक है-प्वमा, टजसमें उनहोंन  े  अनेक  पुरसकारों  से  सममाटनत  टकया

        महाभारत की एक यथाथमा्वादी दशष्िकोण   गया। उनहें साटहतय अकादमी पुरसकार,
                                ृ
        से पुनः कलपना की है। इसमें उनके पात्र   2010  का  सरस्वती  सममान  और  बाद
         े
        द्वत्व  से  परे,  सामानय  मनष्य  के  रप   में पद्मश्री और पद्मभूषण से भी अलंककृत
                             ु
        में प्रसतत टकए गए हैं जो नटतक द्नद्ों   टकया गया। उनके उपनयासों का अनेक
                              ै
              ु
        और कटठन टनणमायों से जूझते हैं। उनका   भारतीय भाषाओं में अन्वाद हुआ और
                                                            ु
        उपनयास आ्वरण ऐटतहाटसक मानयताओं    देश भर में लोगों ने उनहें पढा। हालाटक
                                                                     ं
        पर  प्रश्  उठाता  है  और  पाठकों  को   उनहोंने  मुखय  रप  से  कन्नड़  भाषा  में
        संसककृटत, आसथा और पहचान के गहर  े  टलखा टकंतु उनके ट्वचार देश भर के
        पहलुओं  पर  ट्वचार  करने  के  टलए   पाठकों तक पहँचे।
                                                     ु

                                      66
                                      66
   61   62   63   64   65   66   67   68   69   70   71