Page 51 - Mann Ki Baat Hindi
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असहयोग आंदोलन (1920–22) भारत के स्वतंत्रता संग्ाम में एक महत््वपूणमा मील
का पतथर था। गाँधी जी ने आह्ान टकया टक लोग शांटत के मागमा पर चलते हुए टरिटिश
शासन का बटहष्कार करें, सरकारी उपाटधयों का तयाग करें, ट्वदेशी ्वसतुओं का बटहष्कार
करें, टरिटिश संसथानों से अलग हों और स्वदेशी को अपनाएँ। इस आंदोलन ने पूरे देश
को एकजुि टकया और यह संदेश टदया टक सच्ी स्वतंत्रता, आतमटनभमारता और सामूटहक
प्रयास से ही प्रापत होती है।
सट्वनय अ्वज्ञा आंदोलन (1930–34) की शुरुआत प्रटसद्ध दांडी माचमा से हुई जब
गाँधीजी ने नमक क़ानून तोड़कर यह दशामाया टक भारत को अपनी आ्वशयक ्वसतुएँ स्वयं
बनाने का अटधकार है। यह आंदोलन ट्वरोध प्रदशमानों, हड़तालों और टरिटिश ्वसतुओं के
बटहष्कार के रप में पूरे देश में फैल गया। खादी और सथानीय उद्ोगों को बढा्वा देकर
यह आंदोलन आटथमाक स्वतंत्रता का प्रतीक बना टजसने टसद्ध टकया टक भारत की ्वासतट्वक
शश्त उसकी एकता और अपने संसाधनों पर टनभमारता में टनटहत है।
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