Page 50 - Mann Ki Baat Hindi
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महथात्था रथाँधी
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स्वदशी क प्रतीक
महातमा गाँधी के टदल में स्वदेशी की भा्वना धड़कती थी। उनहोंने एक साधारण से
सूत को राष्ट्र की आ्वाज बना टदया। उनहोंने ‘चरखा’ को ‘शश्त’ का प्रतीक और ‘खादी’
को ‘आजादी’ का ्वसत्र बनाया। उनके टलए आतमटनभमारता के्वल एक ट्वचार नहीं अटपतु
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भारत की आतमा में प्राण फकने का मागमा थी। उनका जी्वन हर भारतीय को याद टदलाता
है टक असली आजादी आतमट्वश्वास, अपनी शश्त पर भरोसा, और अपने देश की जड़ों
पर ग्वमा करने से आरमभ होती है।
चमपारण सतयाग्ह (1917) के दौरान गाँधीजी ने ‘पंचामृत’ अथामात् पाँच अमृत तत््वों —
सतय और साहस, एकता, स्वचछता और टशक्षा, नारी सममान, तथा स्वटनटममात ्वसत्र धारण
करने — के माधयम से लोगों को उनकी शश्त का बोध कराया। उनहोंने मटहलाओं की
कटठनाइयाँ देखकर उनहें स्वयं सूत कातने और ्वसत्र बुनने को प्रेररत टकया। इसी साधारण
से कायमा से जनम हुआ खादी का और यह स्वदेशी ए्वं आतमटनभमारता का टचरसथायी प्रतीक
बन गया।
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