Page 70 - Mann Ki Baat - Hindi
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भारति के सवतिंत्तिा ्सग्राम की कहाक्नयाँ प्रायः महान
                                                  ं
                               नतिाओं  और  आंदोलनों  के  माधयम  ्से  बतिाई  जातिी  रही
                                े
                                                                 ु
                               हैं लक्कन कोमाराम भीम और भगवान क्बर्सा मिा ज्स  े
                                                                      ै
                                                                 ं
                                  े
                               जनजातिीय  नायकों  के  ्साहक््सक  योगदान  भी  उतिने  ही
                               महत्वपण्ष हैं। उनका जीवन ्साह्स, ्संघर्ष और अपने लोगों
                                    ू
                               के क्लए नयाय एवं ्स्मान के प्रक्ति अटूट ्समप्षण का प्रतिीक
                               ्ा। जनजातिीय गौरव क्दव्स के अव्सर पर हमें उनके उन
                                                  ं
                               आदशषों और क्वरा्सति का क्चतिन करना चाक्हए क्ज्सके प्रक्ति
                               वे अक्िग रहे।
                                  कयोमािाम भीम: भवद्रयोह एवं अभधकािों के प्ररीक
                                  हैदराबाद में क्नज़ाम के दमनकारी शा्सन के क्वरुद
                               कोमाराम भीम का ्संघर्ष केवल एक स्ानीय क्वद्रोह नहीं
                               ्ा। यह तिो जनजातिीय ्समुदायों में नयाय और आतम्स्मान
           रुए्ल ओिाम          के क्लए एक वयापक लडाई का प्रतिीक ्ा। उ्स दौर में
            केंद्रीय मंत्ी,    जब शोरण चरम पर ्ा और ्सत्ता के क्वरुद बोलना तिक
        जनजातिीय काय्ष मंत्ालय
                               अपराध माना जातिा ्ा, तिब भीम ने क्निर होकर अपन  े
                               लोगों की रक्ा के क्लए आवाज़ उठाई। उनका आंदोलन इ्स
                                                       े
       करोमािाम भीम            क्वशवा्स पर आधाररति ्ा क्क प्रतयक वयक्ति को अतयाचार
                                           ु
                               और अनयाय ्से म्ति होकर ्स्मान ्से जीने का अक्धकार
       औि भगवान                है।  कोमाराम भीम का क्दया नारा ‘र्ल, रंग्ल, जमीन’



       वििसा मुंडा             आज भी जनजातिीय पहचान और अक्धकारों की ्सश्ति
                                                          ं
                               अक्भवयक्ति है। ये तिीनों तित्व, केवल ्स्साधन नहीं अक्पतिु
                                                                     कृ
                               जनजातिीय ्समुदायों की जीवनरेखा हैं जो उनकी ्संसकक्ति,
       की वविासर               आजीक्वका और अकसतित्व ्से गहरी जुडी हैं। इन ्स्साधनों
                                                                  ं
                               पर भीम की सवायत्ततिा की माँग एक ऐ्सा क््सदांति ्ा जो
       करो नमन                 आज भी पया्षवरणीय नयाय और आक्दवा्सी अक्धकारों की
                               ्समकालीन चचा्षओं का केंद्र रहतिा है।
                                  नतिृतव की उनकी शैली अतयंति लोकतिाक्त्क ्ी। भीम
                                   े
                                                             ं
                               ने ग्राम ्सभाएँ बनाकर लोगों को ्संगक्ठति क्कया और इ्स
                               बाति पर बल क्दया क्क शा्सन वयवस्ा का आधार, स्ानीय
                               पर्पराएँ और क्नण्षय की प्रक्रिया में ्सहभाक्गतिा हो। सव-
                               शा्सन की उनकी यह दकषट अपने ्समय ्से कहीं आगे की
                                                ृ

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