Page 73 - Mann Ki Baat - Hindi
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आज़ादी और ्सांसकक्तिक अखितिा के
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क्बना पण्ष सवतित्तिा अधूरी है। आज यही
आदश्ष, पंचायरी िार का भवसराि और
वन अभधकाि अभधभनयम लागू करने के
हमारे प्रया्सों में देखे जा ्सकतिे हैं जो
जनजातिीय ्समुदायों को अपने ्स्साधनों
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के उपयोग के प्रक्ति ्सश्ति करतिे हैं।
दोनों ही नायकों का मानना ्ा क्क
एकजुट होने में ही अ्सली तिाक़ति है।
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भीम का प्रक्तिरोध और क्बर्सा मिा का
लोगों को ्संगक्ठति करना, इ्सी ्सामुदाक्यक
एकजुटतिा में क्नक्हति ्ा- एक ऐ्सा क््सदांति
जो ्समावेशी क्वका्स के क्लए आज भी
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उतिना ही महत्वपण्ष है। उनका जीवन भी है। यह अव्सर युवाओं को उन नायकों
हमें क््सखातिा है क्क ्सश्तिीकरण क्मलतिा के बारे में जानकारी देने का भी है क्जनके
नहीं है, इ्से एकतिा, जागरूकतिा और बक्लदान क्क्सी भी अनय सवतिंत्तिा ्सेनानी
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्संघर्षशीलतिा ्से अक्ज्षति क्कया जातिा है। ्से कम महत्वपण्ष नहीं हैं। उनकी क्वरा्सति
रनरारीय गौिव भदवस का महत्व को ्स्माक्नति करके हम भारति की पहचान
ू
जनजातिीय गौरव क्दव्स केवल रही क्वक्वधतिा में एकतिा को मज़बति करतिे हैं।
औपचाररकतिा भर नहीं है; यह राषट्रक्नमा्षण युवाओं कयो सनदश
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में जनजातिीय ्समुदायों के योगदान और भारति के युवाओं ्से मैं यही कहँगा क्क
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उ्सके ्स्मान के प्रक्ति हमारी प्रक्तिबदतिा वे कोमाराम भीम और भगवान क्बर्सा मिा
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के ्साह्स और दढ़ क्वशवा्स ्से प्ररणा लें।
उनका जीवन हमें क््सखातिा है क्क ्सच्ा
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नतिृतव, कक्ठनाइयों के बावजूद नयाय के
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क्लए खड रहने में है। तिेज़ गक्ति ्से बदलाव
के इ्स युग में हमें याद रखना चाक्हए क्क
ं
्समावेशी ्सोच, क्नरतिरतिा और प्रकक्ति के
कृ
प्रक्ति ्स्मान ्से ही क्वका्स होतिा है। आइए,
हम उनकी ्समानतिा और ्सश्तिीकरण
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की दकषट आगे बढ़ाने का ्संकलप लें तिाक्क
े
देश की प्रगक्ति में हर ्समुदाय की क्हस्सदारी
हो।
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