Page 69 - Mann Ki Baat - Hindi
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“हमारी वति्षमान पीढ़ी को तिाक्ककिक और
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वज्ञाक्नक वयाखया चाक्हए। ज्से हम मक्दर ्यों
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जा रहे हैं? यह मेटल ्यों पहन रहे हैं? हम
्साधना ्यों करतिे हैं? हम कोक्शश कर रहे हैं क्क
यह ्सब कुछ ्सरल और तिाक्ककिक ढंग ्से प्रसतिुति
करें। ज्से महक्र्ष पतिंजक्ल, ज्से वेद और उपक्नरद्, जहाँ ्सब कुछ
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्सरल भारा में मौजूद है। हम कुछ नया नहीं पढ़ा रहे हैं। हम ब्स
ऋक्रयों के ज्ञान को ्सरल भारा में प्रसतिुति कर रहे हैं।”
-भावेश भीमनािानी
हँ्सातिे हुए भी कोई भारा आम क्ज़ंदक्गयों में ्सोशल मीक्िया ने इ्स भारा को मोबाइल
आ्सानी ्से उतिर ्सकतिी है। सरिीन और पॉप कलचर का क्हस्सा बना
आधयानतमकरा की सि्ल वयाखया क्दया है। चाहे क्रिकेट हो, चाहे हासय या
कृ
इ्स अनोखे ्संसकति पुनजा्षगरण का अधयातम, आज के युवा इ्स भारा को
एक और चेहरा हैं भावेश भीमना्ानी, जो अपनी रोज़मरा्ष की दुक्नया में इसतिेमाल
्संसकति शलोकों, दश्षन और आधयाकतमक कर रहे हैं। इ्सका ्सीधा अ््ष यह है क्क
कृ
क््सदांतिों को बेहद आ्सान भारा में ्संसकति अब ‘जीवंति भारा’ बन रही है।
कृ
आधुक्नक वैज्ञाक्नक दृकषटकोण ्से ्समझातिे भारा ्सभयतिा की वाहक होतिी है।
हैं। आज की पीढ़ी हर चीज़ का ‘्यों?’ हज़ारों वरषों तिक ्संसकति ने यह दाक्यतव
कृ
जानना चाहतिी है। भावेश इनहें ्सरल और
तिाक्ककिक भारा में ्समझातिे हैं। क्नभाया। आज जब नई पीढ़ी क्फर ्से
भावेश की लोकक्प्रयतिा यह दशा्षतिी है इ्से अपना रही है, तिो यह क््सफकि भारा का
कृ
क्क ्संसकति आज भी क्दल और क्दमाग़ पुनज्षनम नहीं है बकलक एक ्संसकक्ति का
कृ
दोनों तिक पहुँच ्सकतिी है, अगर उ्से ्सही पुनजा्षगरण है। इ्स भारा में श्दों का
अंदाज़ में पेश क्कया जाए। गक्णति है, धवक्न की ऊजा्ष है, ज्ञान का
कृ
नए जमाने का संसकर पुनरा्तगिण महा्सागर है और अक्भवयक्ति की अनंति
इन युवाओं की कहानी क््सफकि प्रेरक क्मतिा। प्रधानमंत्ी विारा इन युवा प्रया्सों
कृ
नहीं बकलक प्रमाण है क्क ्संसकति भारा की ्सराहना इ्स आंदोलन को और गक्ति
अब अपनी नई यात्ा पर क्नकल चुकी है। दे रही है।
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