Page 72 - Mann Ki Baat - Hindi
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और  आधयाकतमक  जागरण  पर  आधाररति      समानराओं की झ्लक: सवशासन
        ्समाज चाहतिे ्े।                  औि सश्रीकिण
                   ं
                   ु
            क्बर्सा  मिा  का  उलगु्लान  (महान   यद्क्प कोमाराम भीम और भगवान
        आंदयो्लन)  केवल  क्रिक्टश  अतयाचार  के   क्बर्सा मुंिा के बीच काल और भौगोक्लक
        क्वरुद क्वद्रोह नहीं, बकलक ्सामाक्जक ्सुधार   दूरी ्ी पर दोनों का ्सपना एक ही ्ा;
        और  ्सश्तिीकरण  का  आह्ान  भी  ्ा।   एक ऐ्सा ्समाज जहाँ जनजातिीय ्समुदाय
                                                                  ं
        उनहोंने  अपने  लोगों  ्से  शोरक  ज़मींदारों   ्स्मान ्से जी ्सकें और अपने ्स्साधनों
        और क्मशनररयों को चुनौतिी दतिे हुए अपनी   पर  उनका  अपना  अक्धकार  हो।  दोनों
                             े
        पार्पररक आस्ा और रीक्ति-ररवाजों की   नेतिाओं  ने  उन  वयवस्ाओं  के  क्खलाफ़
        ओर  लौटने  को  कहा।  सवशा्सन  और   ्संघर्ष क्कया क्जनहोंने उनहें उनकी ज़मीन
        ्सांसकक्तिक  गौरव  पर  उनका  बल  आज   और आजीक्वका पर सव-क्नयंत्ण ्से वंक्चति
             कृ
        भी जनजातिीय कलयाण और ्समावेश ्स  े  क्कया। उनका ्संघर्ष नयाय, ्समानतिा और
                           े
        ्स्बद नीक्तियों को क्दशा दतिा है।  ्सश्तिीकरण के क््सदांतिों पर आधाररति
                  ु
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                                   ं
            क्बर्सा मिा के आदशषों ने सवतित्तिा   ्ा  जो  सबका  साि,  सबका  भवकास,
        ्सेनाक्नयों  की  पीक्ढ़यों  को  प्रररति  क्कया   सबका भवशवास के दृकषटकोण के काफ़ी
                              े
                        ं
        और  भारति  के  सवतित्तिा  आंदोलन  में   क्नकट है।
        जनजातिीय  सवाक्भमान  की  नींव  रखी।   भीम का नारा ‘र्ल, रंग्ल, जमीन’
        उनका जीवन हमें यह याद क्दलातिा ह  ै  और क्बर्सा मिा का उलगु्लान एक ही
                                                    ु
                                                    ं
        क्क  ्सश्तिीकरण  केवल  राजनीक्तिक   क््स्के  के  दो  पहलू  ्े-  जनजातिीय
        नहीं बकलक ्सांसककृक्तिक, ्सामाक्जक और   ्समुदायों को पहचान और सवशा्सन की
                                                                      ्ष
        आक्््षक भी होतिा है।              माँग।  दोनों  का  मानना  ्ा  क्क  आक््क

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