Page 22 - Mann Ki Baat - Hindi
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पर आम की लकडी का उपयोग करके बनतिा है। पार्पररक प्र्साद तिैयार करना
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तिैयार क्कया जातिा है और केवल का्से या एक ्सामुदाक्यक गक्तिक्वक्ध है, जो ्साझा
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क्मट्ी के बति्षनों का उपयोग क्कया जातिा करने और ्सामक्हक क्ज़्मदारी की
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है। व्रति के दौरान खाए जाने वाले शद भावना को बढ़ावा दतिी है। एक ज्स े
शाकाहारी वयजनों में पत्तदार ्सक्जयाँ, पार्पररक पररधान पहने और एक ्सा्
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कद्दू और मूली शाक्मल हैं, क्जनहें क्बना प्राचीन भजन गातिे हुए हज़ारों भ्तिों का
नमक, पयाज या लह्सुन के तिैयार क्कया दृशय ्सामाक्जक एकतिा की शक्तिशाली
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जातिा है क्ज्स्से शद और ्साकतवक गुण तिसवीर प्रसतिुति करतिा है।
बरकरार रहतिे हैं। इ्स पव्ष में मक्हलाओं की भक्मका
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छठ पूजा अपने आधयाकतमक और केंद्रीय है। वे अपने पररवार की दीघा्षय ु
पया्षवरणीय आयामों ्से परे, जाक्ति, वग्ष और ्समक्द के क्लए क्नज्षला व्रति, यानी
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और प् की बाधाओं को पार करतिे हुए, क्बना पानी के उपवा्स रखतिी हैं। उनका
एक शक्तिशाली ्सामाक्जक ्समानतिा ्समप्षण केवल एक धाक्म्षक दाक्यतव
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का पव्ष है। प्रधानमंत्ी श्री नरनद्र मोदी न े नहीं बकलक स्ह और तयाग की गहन
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अपने 127वें ‘मन की बाति’ ्स्बोधन में अक्भवयक्ति है, जो पाररवाररक बंधनों
इ्स पव्ष को ‘भक्ति, स्ेह और पर्परा को ्सुदृढ़ करतिा है और नारीतव की
का ्संगम’ बतिाया है। घाटों पर, ्समाज ्सांसककृक्तिक शक्ति को प्रदक्श्षति करतिा है।
का हर वग्ष एक ्सा् आतिा है, क्ज्स्स े बक्नया बारी ज्से अनोखे अनुषठान, जहा ँ
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्सामाक्जक एकतिा का एक ्सूक्म रूप छोटे बच्ों ्सक्हति भ्तिगण मन्नति माँगति े
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