Page 50 - Mann Ki Baat Hindi(MAY-2023)
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प्रधानमंत्री मोदरी का क्वज़न :


                  कृ
             प्रकति और पया्ववरण संरक्ण क ललए
                                                          े
                           भारि का समप्वण






                                          सभी संसाधनों से जुड़े हुए तत्ों के प्फत
                                          नेतृत् की गमभीरता इस बात का सबसे
                                          बड़ा सूचक है फक जहाँ एक तरफ़ देश
                                          आफथ्यक रूप से दफनया से लोहा मन्ा
                                                        ु
                                          चुका है, ्हीं दूसरी तरफ़ पाररकसथफतकी
                                                     ं
                                          के  प्फत  भी  स्ेदनशीलता  फदखाई  देती
                                          है। यह संकेत स्चछ भारत, जल प्थम
                                          ्  फमटिी  स्ास्थय  जैसे  काय्यक्रमों  को
              अफनल प्काश जोशी
         पया्य्रणफ्द् और पद्म पुरसकार     देश में एक आनदोलन के रूप में खड़ा
                                                     ं
                    फ्जेता                करना  प्धानमत्री  मोदी  की  प्ककृफत  के
                                          प्फत  समप्यण  ही  नहीं,  बकलक  उनकी
                                          प्भा्ी काय्यशैली की ओर इशारा करता
                                          है। प्ककृफत के संसाधनों को अगर सब
                                          भोगते हों तो सबकी भागीदारी जुटाना
                                          महत््पण्य होता है, जो आनदोलनों से ही
                                                ू
            प्ककृफत  ही  फ्श्  का  सबसे  बड़ा   समभ् है।
        सतय  है  और  इससे  उतपन्न  संसाधनों   फपछले 9 सालों में प्ककृफत के प्फत
        से ही जी्न पनपता है। दफनया में भारत   दाफयत्  सरकार  की  योजनाओं  में
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        इसीफलए अलग सथान रखता रहा है फक    झलकता रहा है। शुरुआत में ही स्चछ
        प्ककृफत और पया्य्रण के प्फत समप्यण,   भारत का नारा देश की गररमा से जड़ी
                                                                     ु
        संरक्ण के भा् शुरुआत से ही यहाँ के   पहल थी। जल संरक्ण को लेकर अमृत
                                    ं
        संसकारों का फहससा रहे हैं। प्धानमत्री   सरो्र ् ‘कैच द रैन’ जैसी योजनाए  ँ
                                                        ु
        मोदी  की  इस  ओर  मूल  समझने  देश   सीधे घर-गा्ों से जड़ गईं। आज ये सब
                                                   ँ
        को प्ककृफत और पया्य्रण के संरक्ण के   आनदोलन  का  रूप  ले  चुकी  हैं।  इसन  े
        प्फत एक नई फदशा दी है। आज प्ककृफत के   जहाँ  पहाड़ी  धाराओं  की  ्ापसी  तय


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