Page 51 - Mann Ki Baat Hindi(MAY-2023)
P. 51

की,  ्ही  ्रा्य-जफनत  छोटी  नफदयों  को
                             ू
          पुनजमी्न  फदया।  महत््पण्य  बात  ये  ह  ै
          फक ऐसे प्यत्न फिर स्तः ही सरकार
                                     ं
          से  समाज  के  हो  जाते  हैं।  प्धानमत्री
          के  स्भा्  में  प्ककृफत  के  वय्हार  को
                        े
          समझने  की  फ्शरता  है  और  ये  ही
          कारण  है  फक  देश  की  पाररकसथफतकी
          योजनाएँ प्भा्ी हुईं। उदाहरण के फलए
          देश जहाँ मात्र 10 से 15 प्फतशत ही ्रा्य
          के पानी को प्ाककृफतक रूप में जुटाता था,
          आज ्रा्य जल संरक्ण की पहल से य  े
          प्फतशत दो गुना अ्शय हुआ है, कयोंफक
          हमारे पास आफथ्यक फ्कास के समांतर
          पया्य्रणीय बढ़त दर का कोई सूचक
          नहीं  है  ्ना्य  हमारी  जीडीपी  के  साथ
          जीइपी (ग्ास एनफ्ररमेंटल प्ोडकट) भी
          दमदार फदखाई देते, जो यह दशा्य देते फक   और खास तौर से य्ा इन प्यासों को
                                                           ु
          देश ह्ा, फमटिी, पानी तथा ्नों, पया्य्रण   फ्फभन्न रूपों में कहीं जमीन पर उतार
          के चार मूल सतमभों को लेकर भी दम   रहे हैं।
                      ु
          भर सकता है। दफनया में ऐसी नई पहल     आज देशभर में जल संचय के काय्य
          का  जज़बा  प्धानमत्री  के  ही  बूते  की     शायद इसी आनदोलन का प्ताप हैं, ्हीं
                         ं
          बात है।                           दूसरी  तरफ़  देश  में  फमटिी  के  फबगड़त  े
              पया्य्रण  संरक्ण  के  प्फत    स्ास्थय को बेहतर करने के फलए उस  े
                ं
          प्धानमत्री  की  फ्फभन्न  पहलों  ने  राष्ट्र   जफ्क बनाने का काम हुआ। इसी कड़ी
                                             ै
          से लेकर अंतरराष्ट्रीय सतर तक पकड़   में  अनय  योजनाएँ,  जो  सीधे  पया्य्रण
          बनाई है, चाहे ्ो सरल जी्नशैली स  े  को प्भाफ्त करती हैं, ्े आज कहीं खरी
          जुड़ी हो या फिर सबको एक प्थ्ी और   उतरती फदखाई देती हैं। देश के य्ाओं न  े
                                 ृ
                                                                   ु
          एक परर्ार के रूप में मानना हो या   इनको कई रूपों में अपनाया है। दफक्ण
           ु
          दफनया में सूय्य को भफ्ष्य की ऊजा्य का   हो या उत्तर भारत, आज सथानीय लोगों
          मुखय स्ोत मन्ाना हो। इस तरह की    की भागीदारी सपष्ट है। आईटी सेकटर
          योजनाएँ  सब  पर  सीधा  प्भा्  डालती   में सटाट्टअप हो या फिर जमीन से जुड़े
          हैं और यही कारण है फक आज देश के   हुए अनय काय्य, समाज के हर ्ग्य की
          हर कोने में मफहलाएँ हों और चाहे पुरुर


                                        47
                                        47
   46   47   48   49   50   51   52   53   54   55   56