Page 10 - MANN KI BAAT (Hindi)
P. 10

हररद्ार  में  कुमभ  का  आयोजन  होता   के पािन अिसर पर इस मेले में पूरी
                                           ु
        है,  िैसे  ही,  िखक्षण  भू-भाग  में  गोिािरी,   िखनया  से  आए  लािों  श्द्धालुओं  ने
          कृ
        कषणा, नम्षिा और कािेरी निी के तटों   डुबकी  लगाई  है।  ‘कुमभ’,  ‘पुषकरम’
        पर पुषकरम होते हैं। ये िोनों ही पि्ष हमारी   और ‘गंगा सागर मेला’ – हमारे ये पि्ष,
        पखित्र  नखियों  से,  उनकी  मानयताओं  से   हमारे सामाखजक मेल-जोल को, सि ्भाि
        जुड़े हुए हैं। इसी तरह कुमभकोणम से   को, एकता को बढ़ाने िाले पि्ष हैं। ये पि्ष
        खतरुककड-यूर, कूड़-िासल से खतरुचेरई,   भारत के लोगों को भारत की परमपराओं
        अनेक ऐसे मंखिर हैं खजनकी परमपराएँ   से जोड़ते हैं और जैसे हमारे शासत्रों ने
        कुमभ से जुड़ी हुई हैं।             संसार  में  धम्ष,  अथ्ष,  काम,  मोक्ष,  चारों
                                   े
            साखथयो, इस बार आप सब ने ििा   पर बल खिया है, िैसे ही हमारे पिशों और
        होगा खक कुमभ में युिाओं की भागीिारी   परमपराएँ भी आधयाकतमक, सामाखजक,
                                               कृ
        बहुत वयापक रूप में नजर आती है और   सांसकखतक और आखथ्षक, हर पक्ष को भी
        ये भी सच है खक जब युिा-पीढ़ी अपनी   सशकत करते हैं।
        सभयता के साथ गि्ष के साथ जुड़ जाती     साखथयो,  इस  महीने  हमने  ‘पौष
        है तो उसकी जड़ें और मजबूत होती हैं   शुकल द्ािशी’ के खिन रामलला के प्राण
        और  तब  उसका  सिखण्षम  भखिषय  भी   प्रखतषठा पि्ष की पहली िष्षगाँठ मनाई है।
        सुखनकशचत  हो  जाता  है।  हम  इस  बार   इस साल ‘पौष शुकल द्ािशी’ 11 जनिरी
        कुमभ के Digital Footprints भी इतने   को पड़ी थी। इस खिन लािों राम भकतों
                    े
        बड़े scale पर िि रहे हैं। कुमभ की ये   ने अयोधया में रामलला के साक्षात िश्षन
        िकशिक लोकखप्रयता हर भारतीय के खलए   कर उनका आशीिा्षि खलया। प्राण प्रखतषठा
         ै
                                                               कृ
        गि्ष की बात है।                   की ये द्ािशी, भारत की सांसकखतक चेतना
            साखथयो, कुछ खिन पहले ही पकशचम   की पुनः प्रखतषठा की द्ािशी है। इसखलए
        बंगाल  में  ‘गंगा  सागर’  मेले  का  भी   पौष शुकल द्ािशी का ये खिन एक तरह
        खिहंगम  आयोजन  हुआ  है।  संरिांखत   से प्रखतषठा द्ािशी का खिन भी बन गया


                                       6 6
   5   6   7   8   9   10   11   12   13   14   15