Page 5 - MAN KI BAAT HINDI
P. 5
¸fmSm ´¹ffSm ýmVf½ffdÀf¹fû! ³f¸fÀIYfS
‘मन की बात’ में आप सभी का हँ। मुझे आपके ऐसे सुझा्ों का बेसब्ी स े
ू
एक बार फिर बहुत-बहुत स्ागत है। इंतज़ार है। ्ैसे तो इंतज़ार हमेशा होता
े
आज इस चचाचा को शुरू करते हुए मन- है, लफकन इस बार ज़रा इंतज़ार जयादा
मससतषक में फकतने ही भा् उमड़ रहे हैं। है। आपके ये सुझा् और फ्चार ही 30
हमारा और आपका ‘मन की बात’ का अप्ल को होने ्ाले सौ्ें (100्ें) ‘मन
ै
ये साथ अपने फननयान्ें (99्ें) पायदान की बात’ को और यादगार बनाएँगे।
पर आ पहँचा है। आम तौर पर हम सुनत े
ु
हैं फक फननयान्ें (99्ें) का िेर बहुत मेरे पयारे देश्ाफसयो, ‘मन की
कफिन होता है। फरिकेट में तो ‘न्चास बात’ में हमने ऐसे ह़जारों लोगों की
े
ु
नाईनटीज़’ को बहुत मस्कल पड़ा् चचाचा की है, जो दूसरों की स्ा के फलए
माना जाता है, लफकन जहाँ भारत के अपना जी्न समफपचात कर देते हैं। कई
े
जन-जन के ‘मन की बात’ हो, ्हाँ की लोग ऐसे होते हैं, जो बफटयों की फशक्ा के
े
े
प्रणा ही कुछ और होती है। मुझे इस फलए अपनी पूरी पेंशन लगा देते हैं, कोई
बात की भी खुशी है फक ‘मन की बात’ अपने पूरे जी्न की कमाई पयाचा्रण
े
के सौ्ें (100्ें) एफपसोड को लेकर देश और जी्-स्ा के फलए समफपचात कर
के लोगों में बहुत उतसाह है। मुझे बहुत देता है। हमारे देश में परमाथचा को इतना
े
सारे सनदश फमल रहे हैं, िोन आ रहे हैं। ऊपर रखा गया है फक दूसरों के सुख
आज जब हम आज़ादी का अमृतकाल के फलए लोग अपना स्चास् दान देन े
मना रहे हैं, नए संकलपों के साथ आग े में भी संकोच नहीं करते। इसफलए
बढ़ रहे हैं, तो सौ्ें (100्ें) ‘मन की बात’ तो हमें बचपन से फशफ् और दधीफच
को लेकर आपके सुझा्ों और फ्चारों जैसे देह-दाफनयों की गाथाएँ सुनाई
ु
को जानने के फलए मैं भी बहुत उतसक जाती हैं।
1 1