Page 38 - Mann Ki Baat - Hindi
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दीपा मफलक
पैराफलकमपयन, ्ीबी-मुकत भारत अफभयान की राष्ट्रीय राजदूत और फन-क्य फमत्
जन भागवीदारवी और अपनेपन की भावना : िन-षिय िमत्
मैं लगभग 5 ्र की िी, जब मेरे आ गए और मैं दुबारा फदवयांग बनी, तब
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सपाइनल कॉड्ट में ट्बरकलोफसस (्ीबी) भी मैंने काफ़ी बीमारी झेली, हालाँफक
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का इनिेकशन पाया गया। मैं बहुत तब यह ट्बरकलोफसस के कारण नहीं
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शुक्रगुज़ार हूँ अपने माता-फपता की फक िा। मैं बहुत शुक्रगुज़ार हूँ प्धानमंत्ी
उनहोंने मेरी देिभाल की। उनहोंने इस नरेनद्र मोदी जी की, फजनकी हर पहल
बीमारी को समझा और डॉक्स्द के जन भागीदारी होती है। उनकी सोच यह
फजतने भी सुझा् िे, पूण्द रप से उनका है फक हमारा नया भारत स्सि भारत
पालन फकया। मुझे िीक होकर दुबारा हो और फजस प्कार हमने पोफलयो पर
चलने में 4 ्र लगे, कयोंफक मेरे पैरों पर जीत हाफसल की, िीक उसी प्कार 2025
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इसका असर आया िा। उस दौरान मैं तक हमें भारत को TB-मुकत बनाना है
देिती िी फक लोग हमसे फमलने नहीं और यह तभी होगा, जब इसके बारे में
आना चाहते िे और जब माँ कभी-कभी चचा्द होगी, हम लोग फमत् बनकर ्ीबी
असपताल के चककर का्कर िक जाती मरीज़ों की सहायता करेंगे और एकजु्
िीं, तब लगता िा फक दाफयत् समभालने होकर ्ीबी के फिलाफ़ जंग ्ेड़ेंगे।
के फलए कोई और आ जाए। बचपन लेफकन इस उद्े्य को पाने में
की यही बात मुझे याद रह गई िी फक सबसे बड़ी बाधा यह है फक लोगों में
फकसी लमबी बीमारी को झेलने में िोड़ी इसकी जानकारी कम है और पहले से
आसानी हो जाती है, जब मदद के चार फजतनी भी जानकारी है, ्ह बड़ी नेगेफ््
हाि आगे आते हैं। है फक यह ्टूत की बीमारी है, लाइलाज
मुझे प्रणा शायद ्हीं से फमली और है या यह कोई अफभशाप है। लोगों को
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जब मेरे सपाइनल कॉड्ट ट्मस्द दुबारा ज्ाान ही नहीं है फक केंद्र सरकार द्ारा
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