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के रप में रेचडयो में चिर से प्ऱाण िकूँकने
                                          और  उसे  मुखयध़ाऱा  में  ल़ाने  के  चलए
                                          परमपऱागत धवचन-तरंगों पर ही चवशव़ास

                                          चकय़ा। ‘मन की ब़ात’ लोकतंत्र के सच्यों
                                          पुऱाने मूलयों को मजबूत करने के स़ाि
                                          ही सम़ाज की प्रगचत के चलए तैय़ार चकय़ा
                                          गय़ा क़ाय्वक्रम है। यह स़ाव्वजचनक संि़ार
                                          म़ाधयम को एक नए सतर पर ले ज़ाने
                                          की भ़ारत के प्रध़ानमंत्री की अनू्ी पहल
                                          है; यह अपनी तरह क़ा पहल़ा रेचडयो शो
                                          है,  चजसकी  मेजब़ानी  प्रध़ानमंत्री  करते
                                          हैं, लेचकन यह ्ेश के लोगों के सपनों
                                          क़ा नय़ा भ़ारत बऩाने की च्श़ा में उनहीं
                                          के  चवि़ारों,  आक़ांक़्ाओं,  आश़ाओं  और
                                          योग़्ान  पर  आध़ाररत  है।  प़ार्चश्वत़ा,
                                          जव़ाब्ेही, नव़ाि़ार, प्रयोग और ऩागररक
                                          भ़ागी़्ारी  के  चसद्ध़ानतों  से  ओत-प्रोत
        समृद्ध व़ासतुकल़ा, कल़ा और संसकृचत   ‘मन  की  ब़ात’  व़ासतव  में  श़ासन  क़ा
        ति़ा परमपऱाओं पर प्रक़ाश ड़ाल़ा है।  एक नय़ा प्रचतम़ान है, जो मौजू़्ा जचिल
            एक ऐस़ा युग, चजसमें नए चडचजिल   िुनौचतयों  क़ा  स़ामऩा  करने  के  चलए

        पलेिि़ामषों क़ा महत्व लग़ात़ार बढ़ रह़ा   चनरनतर चवकचसत हो रह़ा है और भ़ारत
        है, प्रध़ानमंत्री नरेनद् मो्ी ने लोकत़ाचत्रक   क़ा  उज्जवल  भचवष्य  बऩाने  हेतु  सतत
                                  ं
        संि़ार के चलए एक शसकतश़ाली म़ाधयम   चक्रय़ाशील है।




















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