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सकते हैं। अचधक़ांश श्ोत़ा सरक़ार की
                                          क़ाय्वप्रण़ाली से अवगत हो िुके हैं और 73
                                          प्रचतशत आश़ाव़ा्ी हैं और महसूस करते
                                          हैं चक ्ेश प्रगचत कर रह़ा है। 58 प्रचतशत
                                          श्ोत़ाओं क़ा कहऩा ि़ा चक उनक़ा रहन-
                                          सहन बेहतर हुआ है, जबचक 59 प्रचतशत

                                          ने  सरक़ार  में  चवशव़ास  बढ़ने  की  ब़ात
                                          कही है। 60 प्रचतशत लोगों ने ऱाष्ट्र चनम़ा्वण
                                          के चलए क़ाम करने में रुचि च्ख़ाई है
                                          और 63 प्रचतशत लोगों ने कह़ा है चक ‘मन
                                          की ब़ात’ सुनने के ब़ा् सरक़ार के प्रचत
                                                ृ
                                          उनक़ा ्सष्िकोण सक़ाऱातमक हुआ है।
                                              सवक्ण के अनुस़ार प्रध़ानमंत्री को
                                                वे
                                          ्ेशव़ासी ज़ानक़ार म़ानते हैं और उनक़ा
                                          कहऩा है चक प्रध़ानमंत्री लोगों के स़ाि
            और यह ह़ाल में भ़ारतीय प्रबनधन   सह़ानुभूचतपूण्व  ्सष्िकोण  के  अल़ाव़ा
                                                       ृ
                                वे
        संसि़ान,  रोहतक  के  एक  सवक्ण  से   भ़ावऩातमक रप से भी जुड़े हैं।
                           वे
        सपष्ि  हुआ  है।  इस  सवक्ण  में  प़ाय़ा   आक़ाशव़ाणी  के  चवश़ाल
        गय़ा चक ‘मन की ब़ात’ क़ाय्वक्रम 100   नेिवक्क, चनजी और स़ामु़्ाचयक
        करोड़  लोगों  तक  पहुँि़ा,  चजनमें  से  23   रेचडयो  केनद्ों  की  म््  से
        करोड़ चनयचमत रप से इसे सुनते आ     प्रध़ानमंत्री स़ाम़ाचजक-
        रहे हैं, जबचक अनय 41 करोड़ कभी-कभी
        सुनते हैं, जोचक इसके चनयचमत श्ोत़ा बन
                                                             आचि्वक  और
                                                    स़ांसकृचतक चवचवधत़ा व़ाली
                                              आब़ा्ी  तक  पहुँिे  और  उनहें  न
                                          केवल  स़ाम़ाचजक,  स़ांसकृचतक  और

                                          आचि्वक  मुद्ों  के  ब़ारे  में  प्रेररत  और
                                          उतस़ाचहत  चकय़ा,  बसलक  आज  चवशव
                                          के  समक्  मौजू्  जलव़ायु  पररवत्वन,
                                          किऱा  प्रबनधन  और  ऊज़ा्व  संकि
                                          जैसी िुनौतीपूण्व समसय़ाओं के प्रचत भी
                                          ज़ागरक चकय़ा है।


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