Page 23 - MKV (Hindi)
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पहल कह़ा ज़ा सकत़ा है। यह एक ऐस़ा चकए गए प्रय़ासों की सऱाहऩा करते हैं।
म़ाधयम है, चजसकी म्् से वे ऱाष्ट्र तक क़ाय्वक्रम में वयसकतगत सिलत़ा की
पहुँि सकते हैं और यह एक ऐस़ा मंि कह़ाचनयों को श़ाचमल करऩा न केवल
भी है, जो ऩागररकों को नेत़ा तक पहुँिने प्रध़ानमंत्री के चलए, बसलक भ़ारतीय
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में सक्म बऩात़ा है। चनःसन्ह यह जन जनत़ा के चलए प्रेरण़ा़्ायक चसद्ध हुआ
भ़ागी़्ारी की च्श़ा में बढ़़ा एक क्म है।
ि़ा। तब से प्रध़ानमंत्री चवचभन्न मुद्ों पर केवल यही नहीं, प्रध़ानमंत्री ने
अपने रेचडयो क़ाय्वक्रम के म़ाधयम से ‘मन की ब़ात’ के म़ाधयम से सरक़ार
भ़ारत के ऩागररकों को समबोचधत कर की चवचभन्न कलय़ाणक़ारी योजऩाओं
रहे हैं, ऩागररकों को ऱाष्ट्रीय महत्व के और क़ाय्वक्रमों, ि़ाहे वो बेिी बि़ाओ-
मुद्ों और चवि़ारों में श़ाचमल कर रहे हैं। बेिी पढ़़ाओ हो य़ा पोषण अचभय़ान, मुद़्ा
यह क़ाय्वक्रम चनचव्वव़ा् रप से ऱाष्ट्र के सकीम हो य़ा खेलो इंचडय़ा, उज्वल़ा
स़ामूचहक चववेक और ‘सबक़ा प्रय़ास’ की योजऩा हो य़ा सि़ािटि अप इंचडय़ा, अमृत
भ़ावऩा क़ा प्रतीक है। सरोवर हो य़ा चफ़ि इंचडय़ा, इन सब
प्रध़ानमंत्री ने 100वें अंक में कह़ा चक के ब़ारे में ज़ागरकत़ा पै़्ा करने क़ा
‘मन की ब़ात’ उनके चलए केवल एक उत्ऱ्ाचयतव उनहोंने अपने ऊपर ले
प्रस़ारण नहीं है, बसलक “आसि़ा और चलय़ा। यह अनू़्ा क़ाय्वक्रम सरक़ार को
आधय़ासतमक य़ात्ऱा क़ा चवषय” है। उनहोंने ऩागररकों के करीब ल़ाकर समप्रेषण क़ा
कह़ा, “मेरे चलए ‘मन की ब़ात’ एक ्ोतरफ़़ा म़ाधयम बऩा है। प्रध़ानमंत्री को
आसि़ा, पूज़ा, एक व्रत है। मेरे चलए ‘मन लोगों से चमलने व़ाले पत्र हों य़ा ‘मन की
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की ब़ात’ ईशवर रपी जनत़ा जऩा््वन के ब़ात’ के म़ाधयम से िचलफ़ोन पर उनसे
िरणों में प्रस़ा् के ि़ाल के सम़ान है।” की गई ब़ातिीत – चकसी चनव़ा्वचित नेत़ा
प्रध़ानमंत्री ने कह़ा चक ‘मन की ब़ात’ और जनसमूह के बीि समप्रेषण क़ा ऐस़ा
उनके चलए ्ूसरों के गुणों से सीखने क़ा म़ाधयम, लोकतंत्र और श़ासन में लोगों
एक अच़्ा म़ाधयम है। वह ्ेश के कोने- की अिटूि आसि़ा को मजबूत करत़ा है।
कोने में, जमीनी सतर पर, कई क्ेत्रों में
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