Page 29 - Mann Ki Baat - Hindi
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कभी  उपेक्क्ति  रहे  ्साव्षजक्नक   अंरििाष्ट्रीय ययोग भदवस
          स्ान लोगों की देखभाल की वजह ्स  े    प्राचीन  भारतिीय  पर्परा  योग  अब
          ही गौरव का स्ान बन ्सके। स्ानीय   सवासरय और ्सौहाद्ष का वैकशवक उत्सव
          ्समूहों ने सवचछतिा और कचरे के उक्चति   बन गया है। अंतिरराषट्रीय योग क्दव्स शुरु
          प्रबंधन को बढ़ावा देने के क्लए सवचछतिा   होने के बाद दुक्नया भर के लाखों लोग
          अक्भयान, जागरूकतिा ्संबंधी जन्सभाए  ँ  इ्से शारीररक, मानक््सक और आधयाकतमक
          और  ्सांसककृक्तिक  प्रसतिुक्तियाँ  आयोक्जति   कलयाण का एक माग्ष मानतिे हुए अपना रहे
          कीं। यह केवल एक अक्भयान न रह कर,   हैं। आक्धकाररक आयोजन के रूप में शुरू
          आदतिों और मानक््सकतिा में बदलाव लान  े
                ू
          की ्सामक्हक प्रक्तिबदतिा बन गया। इ्स
          आंदोलन  ने  सवचछतिा  की  पररभारा  ही
          बदल दी क्ज्से कुछ लोगों की क्ज़्मदारी
                                    े
          ने  एक  ्साझा  राषट्रीय  उत्तरदाक्यतव  में
          पररवक्ति्षति क्कया। इ्सकी अ्सली ्सफलतिा
          केवल  शौचालयों    या  कचरे  के  क्ि्बों
          की  ्संखया  में  नहीं  है  बकलक  नागररकों
          में यह क्वशवा्स जगाने में है क्क सवचछ
          भारति की शुरुआति हर एक वयक्ति ्स    े
          होतिी है।



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