Page 14 - Mann Ki Baat Hindi(MAY-2023)
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कागज’ (KumbhiKagaz) सटाट्ट-अप जन भागीदारी का कोई भी प्यास कैस े
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उसने एक फ्शर काम शुरू फकया है। कई बदला्ों को साथ लेकर आता है,
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्े जलकुमभी से कागज बनाने का काम खँटी इसका एक आकर्यक उदाहरण
कर रहे हैं, यानी जो जलकुमभी, कभी बन गया है। मैं, यहाँ के लोगों को इस
जलस्ोतों के फलए एक समसया समझी प्यास के फलए बहुत-बहुत बधाई देता हँ। ू
जाती थी, उसी से अब कागज बनन े
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लगा है। मेरे पयारे देश्ाफसयो, 1965 के यद्
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साफथयो, कई य्ा अगर इनो्ेशन के समय हमारे प््य प्धानमत्री लाल
और टेक्ोलरॉजी के जररए काम कर बहादुर शासत्री जी ने ‘जय ज्ान, जय
रहे हैं, तो कई य्ा ऐसे भी हैं, जो समाज फकसान’ का नारा फदया था। बाद में अटल
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को जागरूक करने के फमशन में भी जी ने इसमें जय फ्ज्ाान भी जोड़ फदया
लगे हुए हैं, जैसे फक छत्तीसगढ़ में था। कुछ ्र्य पहले, देश के ्ैज्ााफनकों स े
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बालोद फजले के य्ा हैं। यहाँ के य्ाओं बात करते हुए मैंने जय अनुसंधान की
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ने पानी बचाने के फलए एक अफभयान बात की थी। ‘मन की बात’ में आज बात
शुरू फकया है। ये घर-घर जाकर लोगों एक ऐसे वयककत की, एक ऐसी संसथा
को जल-संरक्ण के फलए जागरूक की, जो ‘जय ज्ान, जय फकसान,
करते हैं। कहीं शादी-्याह जैसा कोई जय फ्ज्ाान और जय अनुसंधान’, इन
आयोजन होता है, तो य्ाओं का ये ग्ुप चारों का ही प्फतफबमब है। ये सज्जन हैं,
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्हाँ जाकर पानी का दुरुपयोग कैस े महाराष्ट्र के श्ीमान फश्ाजी शामरा्
रोका जा सकता है, इसकी जानकारी डोले जी। फश्ाजी डोले, नाफसक फजल े
देता है। पानी के सदुपयोग से जुड़ा एक के एक छोटे से गा् के रहने ्ाले हैं।
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प्रक प्यास झारखंड के खँटी फजले में ्ो गरीब आफद्ासी फकसान परर्ार
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भी हो रहा है। खँटी में लोगों ने पानी के से आते हैं और एक प््य सफनक भी
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संकट से फनपटने के फलए बोरी बाँध हैं। िौज में रहते हुए उनहोंने अपना
का रासता फनकाला है। बोरी बाँध स े जी्न देश के फलए लगाया। ररटायर
पानी इकट्ा होने के कारण यहाँ साग- होने के बाद उनहोंने कुछ नया सीखने
सक्जयाँ भी पैदा होने लगी हैं। इसस े का िैसला फकया और एग्ीकलचर में
लोगों की आमदनी भी बढ़ रही है और फडपलोमा फकया यानी ्ो ‘जय ज्ान से,
इलाके की जरूरतें भी पूरी हो रही हैं। जय फकसान’ की तरि बढ़ चले। अब
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