Page 48 - Mann Ki Baat - Hindi
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न अलगाव और भय के वलए एक
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रनकतराली संहारक के रूप में काम
वकया। आतमसमप्षण करन वाल ़े
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माओवावदयों को इस आयोजन के
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माधयम स समाज में वरर स रावमल
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होन का एक दुल्षभ अवसर वमला, वजनहें
अकसर ववऱेर वरववरों तक सीवमत रखा
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जाता िा। हालात स प्रभाववत लोगों न भी
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खलों को अपनी सवतंत्रता और सामूवहक
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प्रगवत की भावना में योगदान दन के
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अवसर के रूप में दखा।
बसतर ओलनमपक पारमपररक रूप
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स संघर्ष, गरीबी और उपक्ा स हावरए
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पर पड़े समुदायों के वलए सरकतीकरण
के प्रतीक के रूप में सामन आया।
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दूरदराज के गाँवों स आए प्रवतभावगयों
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को अपनी प्रवतभा वदखान और अपनी
क्मता को वरर स प्रदवर्षत करन के वलए
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एक मंच वदया गया, जो अकसर मूल-भूत
सुववधाओं वंवचत रहत हैं।
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कई लोगों के वलए यह प्रवतसपधा्ष में
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उतरन, उतकृषटता हावसल करन और
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सममावनत होन का पहला मौका िा।
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ओलनमपक का यह समय जानबूझकर
चुना गया िा, जब माओवादी समूह
पारमपररक रूप स युवाओं को अपन ़े
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पाल में लान या उनहें मजबूर करन ़े
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का प्रयास करत हैं। खलों में युवाओं
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को रावमल करके, इस पहल न एक
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रचनातमक ववकलप प्रदान वकया। इसस ़े
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क्त्र में ववशवास का माहौल बनान और
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ववकास को बढ़ावा दन के सरकार के
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प्रयासों को बल वमला।
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इसके अलावा खलों न बसतर में
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सामानय नसिवत बहाल करन के वलए
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