Page 44 - Mann Ki Baat - Hindi
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रसनेमाई हस्तियों को उनकी

        100िीं जयंती पर श्रदांजलल




            “सावथयो, िषघा 2024 में हम वफ्म जग्त की कई महान
        हलस्तयों की 100िीं जयं्ती मना रहे हैं। इन विभूव्तयों ने भार्तीय

        वसनेमा को विशि स्तर पर पहचान वदलाई है। राजकपूर जी ने
        वफ्मों के माधयम से दुवनया को भार्त को सॉ्ट पािर से पररवच्त
        कराया। रफी साहब की आिा़ि में िो जादू था जो हर वदल को ््
        जा्ता था। अलककनेनी नागेशिर राि गारू ने ्तेलुगु वसनेमा को नई
        ऊँचाइयों ्तक पहुँचाया है। उनकी वफ्मों ने भार्तीय परम्पराओं और
        मू्यों को बखूबी प्रस्तु्त वकया। ्तपन वसनहाजी की वफ्मों ने समाज को एक
        नई दृलषट दी।”
                            -प्रधानमंत्ी नरेनद् मोदी (‘मन की बा्त’ सम्बोधन में )

















                   राि कपूर                          मोहममद रफी

          राज कपूर को ‘भार्तीय वसनेमा के महान्तम   मोहम्मद रफी ने एक महान पाशिघा गायक के
         शोमैन’ के रूप में जाना जा्ता है। उनकी वफ्मों ने   रूप में भार्तीय वसनेमा में योगदान वदया।
        अं्तरराषट्ीय स्तर पर भी काफी लोकवप्रय्ता हावसल   इनहोंने 40 साल के कररयर में वदल को
         की, खासकर सोविय्त संर, चीन और मधय पूिघा में,   ्् लेने िाली धुनों और रोमांवटक ट्रैक से
         वजसने भार्तीय वसनेमा को िलशिक स्तर पर एक   लेकर देशभलक्त के गी्तों और भजनों ्तक,
                          ै
        सांसकृव्तक शलक्त के रूप में सथावप्त वकया। ‘आिारा   25,000 से अवधक गाने ररकॉडटू वकए।
                                                       ें
        हूँ’ गाना भार्तीय सीमाओं से परे आनंद और प्रशंसा   1967 में उनह पद्म श्ी से सम्मावन्त वकया
                                ें
        का गी्त बन गया। भार्त सरकार ने उनह 1971 में पद्म   गया। उनहोंने अपने गी्त ‘कया हुआ ्तेरा
        भूषण और 1988 में दादा साहब फा्के पुरसकार से   िादा’ के वलए राषट्ीय वफ्म पुरसकार भी
                  सम्मावन्त वकया था।                     जी्ता।



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