Page 63 - Mann Ki Baat - Hindi, February,2023
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बंगा् के प्ए बहुत महत्विूण्म है और   न  केव्  अिने  आपथ्मक  पवकास  के
          हम उसकी िहचान को पफर से हापस्     प्ए, बकलक अिनी पवरासत िर भी गव्म
          करना चाहते हैं।                   करना  चापहए,  पजसमें  बहुत  कुछ  पछिा
                          े
              हमने  कुमभ  म्े  को  िुनजजीपवत   हुआ है, जो पव्ुपत ्या नष्ट हो ग्या है।
          पक्या  है  तापक  एक  तरफ़  हम  अिन  े  मुझे ्गता है पक मोदीजी ने हमारे देश
          अतीत  को  व  अिनी  िरमिरा  को  जान   के इपतहास और पवरासत को ्ोगों के
                                    े
          सकें और दूसरी तरफ़ सथानी्य क्त्र में   पदमाग में वािस ्ाने के प्ए एक बहुत
          बद्ाव ्ा सकें, जो िह्े कभी वाराणसी   ही असाधारण िह् की है और हम ऐसा
                 ृ
          जैसा समधि शहर हुआ करता था। हम     ही करने की कोपशश कर रहे हैं। बंगा्
                                   ृ
          चाहते हैं पक ्यह शहर पफर से समधि हो।   में मंचन क्ा के अनेक रूि हैं, जो धीरे-
          हम आध्याकतमक पवकास और सथानी्य     धीरे ्ुपत होते जा रहे हैं और हम उनह  ें
          आपथ्मक पवकास, दोनों के संदभ्म में पत्रवेणी   सबसे  आगे  ्ाकर  जीवंत  रखने  का
          को एक हेररटेज पसटी के रूि में देखना   प््यास कर रहे हैं। बंगा् का एक बहुत ही
                                               े
                              ु
          चाहते हैं। हम चाहते हैं पक दपन्या भर स  े  पवश् नृत्य – गौरी नृत्य ्ुपत हो रहा है।
          ्ोग आएँ और हमारी िरमिरा को देखें   छऊ नृत्य और श्ी-खो् वाद्य्यंत्र, पजस  े
          और  हमारे  इन  प््यासों  को  प्ोतसापहत   श्ी गौरांग महाप्भु के अ्ावा अब तक
          करें। भारत की शक्त आध्याकतमकता में   पकसी और ने नहीं बजा्या था, ्ये सभी
          पनपहत है और ्यही हमारी पवरासत और   ऐसी ही िरमिराएँ हैं, पजनह महोतसव के
                                                               ें
                    ू
          सभ्यता का म् है।                  दौरान हमने हर शाम प्दपश्मत पक्या और
              जब हमारे प्धानमत्री ने अिने ‘मन   ्ोगों ने िसनद भी पक्या।
                           ं
                               े
          की बात’ का्य्मक्म में इस म्े का पज़क्   मैंने िह्ी बार इस मे्े को देखा।
          पक्या तो मैं बहुत खुश हुआ। प्धानमत्री   म्े  में  कई  बार  आनंददा्यक  ि्ों  का
                                             े
                                      ं
          के नेतृतव में सरकार के प््यासों ने हमारी   साक्ी बना। पशवप्ंग को िानी में पवसपज्मत
                            कृ
          पवरासत, िरमिरा, संसकपत और इपतहास   करना,  साधुओं  द्ारा  ज्  में  डुबकी
                                  ं
          को िुनजजीपवत पक्या है। प्धानमत्री कई   ्गाना,  ्ये  सभी  ऐसे  अद भुत  दृश्य  थे,
                                                               ्
                                               ें
          मौकों िर पवपभन्न िरमिराओं, क्ाओं   पजनह पत्रवेणी में सैकड़ों व्षों से नहीं देखा
                  कृ
          और  संसकपत्यों  के  बारे  में  बात  करत  े  ग्या था। ्यह देखना आशच्य्मजनक था पक
          हैं  और  हमारी  भारती्य  पवरासत  के   नई िीढ़ी भारत की पवरासत को आगे ्  े
                                                               ै
          कुछ अज्ाात पहससों को सामने ्ाते हैं।   जाने के प्ए पकस तरह त्यार है। भारत
                ं
          प्धानमत्री  का  एक  पवज़न  है  पक  हमें   के ्ोग अिनी सांसकपतक पवरासत और
                                                            कृ
                                            आध्याकतमकता के प्पत जागरूक हो रहे हैं।











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