Page 62 - Mann Ki Baat - Hindi, February,2023
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कंचन बैनजजी
            ्ेखक व प्बंध पनदेशक, बॉसटन सेंटर ऑफ़ ए्सी्ेंस ़फॉर हेलथ एंड ह्मन डेव्िमेंट
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          तत्रवेणी कम्भ महोत्व - सांस्ततक िवरासत और
                                               कृ
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                        आध्ात्मिकता का प्रतीक

            िकशचम  बंगा्  में  हुग्ी  पज़्े  में   था। िौ् सक्ांपत बंगा् की खाड़ी के िास
                                                  ं
        हा् ही में ‘पत्रवेणी कुमभ महोतसव’ का   गंगा सागर म्े में भव्य रूि से मनाई
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        आ्योजन  पक्या  ग्या।  प्धानमत्री  द्ारा   जाती है। वहीं मािी सक्ांपत पत्रवेणी क्ेत्र
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        अिने ‘मन की बात’ में इस बात का पज़क्   का एक बड़ा आ्योजन होता था, पजसे अब
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                                  े
        करने के बाद से कई ्ोग इस म्े के   कुमभ म्ा कहा जाता है।
        इपतहास के बारे में जानना चाहते हैं। हा्   हमने ्यह भी िा्या पक व््म 1298 के
        ही में प्कापशत मेरी िुसतक ‘द क्श ऑफ़   आस-िास,  तकजी-सपनकों  द्ारा  उस  क्ेत्र
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        अ  पसपव्ाइ़जेशन’  के  शोध  के  दौरान   िर  आक्मण  पक्या  ग्या  था।  उनहोंन  े
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        मैंने िा्या पक उिपनवेशवापद्यों और अन्य   व्यािार केंद्, शपक्क केंद् और मकनदरों स  े
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        आक्मणकारर्यों द्ारा हमारे इपतहास का   समधि नगर सपतग्राम िर क्ज़ा करन  े
        अपधकांश भाग नष्ट कर पद्या ग्या है।   की  कोपशश  की  थी।  सथानी्य  राजाओं
        जब मैं बंगा् आ्या, तो 1300 के िवा्मधि्म   ने  उनका  बहादुरी  से  मुकाब्ा  पक्या,
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        से  1500  ई.  तक  इस  सथान  के  बारे  में   ्पकन तकजी सपनकों ने 1313-15 के आस-
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        जानकारी प्ापत करना मकशक् था। मैंन  े  िास पफर आक्मण करके इस क्त्र िर
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        िा्या पक 200 सा् का इपतहास करीब-  क्ज़ा कर प््या और मकनदरों को नष्ट
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        करीब अनि््ध है। आगे शोध करने के   कर पद्या। इसके बाद ्यह म्ा ्गभग
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        क्म में मैंने िा्या पक पत्रवेणी, बांसबेरर्या   700 व्षों तक सथा्यी रूि से रुका रहा।
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        और सपतग्राम का वृहद  इपतहास रहा है।   अब हमने पिछ्े सा् 2022 में पत्रवेणी
            गंगा,  सरसवती  और  ्यमुना  के   में इस कुमभ स्ान म्े के महोतसव की
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        पत्रवेणी संगम को दपक्ण प््याग भी कहा   शुरुआत की। इसमें ्ोगों ने ज़बरदसत
        जाता था। ऐसा ््यों कहा जाता था, इसकी   रुपच  पदखाई।  म्ा  असाधारण  रूि
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        खोज  करते  हुए  हमने  िा्या  पक  िौ्   से  आ्योपजत  पक्या  ग्या  था  और  तीन
        सक्ांपत और मािी सक्ांपत के दौरान उस   पदनों की अवपध में ्ाखों ्ोग आए थे।
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        क्त्र में बड़े म्े का आ्योजन पक्या जाता   ऐपतहापसक रूि से कहा जाए तो ्यह क्त्र
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