Page 28 - MAN KI BAAT HINDI
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अंगदान क िलए दश की प्रणास्रोत
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स्हलता चौधरी
अंगदान करने के पीछे सबसे बड़ी
भा्ना दुफनया छोड़ने के बाद भी फकसी
की जान बचाने का अहसास है। अंगों का
इनतज़ार करने ्ाले लोग जानते हैं फक
जब तक कोई अंग या श्दाता नहीं फमल
जाता, तब तक एक-एक पल गु़जारना
फकतना मुस्कल होता है। ऐसे में अंगदाता
मरी़जों के फलए फकसी भग्ान से कम
नहीं है। ‘मन की बात’ में प्धानमंत्ी ने
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झारखंड की फन्ासी स्हलता चौधरी के जान बचाने में सिल रहे। हमने उनका
बारे में बात की, फजनके फदल, गुदाचा और फदल, फकडनी और फजग़र दान फकया।
फजग़र दान से कई लोगों की जान बची। ग़ाफज़याबाद के रहने ्ाले 14 साल के
दूरदशचान की टीम ने स्हलता बच् में हाट्ट ट्ांसपलांट फकया गया है।
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चौधरी के बेटे अफभजीत चौधरी से उनके भले ही हम उन लोगों को नहीं जानते,
परर्ार के इस प्रणादायी िैसले के बारे फजनहें माँ के अंग फदए गए, लेफकन हम
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में और जानने के फलए बात की। यह जानते हैं फक ्ह फकसी-न-फकसी रूप
“मेरी माँ सामाफजक गफतफ्फधयों में कहीं आज भी जीफ्त हैं।
में अतयफधक शाफमल रहती थीं और यही एक फदन मैं प्धानमंत्ी से बात कर
कारण था फक उनके जाने के बाद हमने सकू, यह मेरा सपना था और आज मेरी
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उनके अंगों को दान करने का फनणचाय माँ के आशी्ाचाद से यह समभ् हो सका।
फलया। ्ह भी यही चाहती थीं। जब हम मेरा मानना है फक अंगदान के्ल
उनके अंगों को दान करने का िैसला एक कायचा नहीं है, यह एक फ्चार है, जो
कर रहे थे तो कई तरह के फमथक हमारे नए भारत के फ्चार से मेल खाता है।
सामने आए। फमथक, जैसे फक उनहें मोक् हमारे देश के यु्ाओं को यह जानने की
की प्ासपत नहीं होगी, लेफकन हमने अपनी ज़रूरत है फक इसके जैसा नेक और
सारी भा्नाओं को एक तरर् रख कर योगय कोई दूसरा दान नहीं है।”
सोचा फक अगर हम उनके अंगदान नहीं स्हलता चौधरी द्ारा फकए गए
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करेंगे, तो ्े अंततः जल जाएँगे; बसलक अंगदान के बारे में अफधक जानन े
उनहें दान करके हम कई लोगों की के फलए QR कोड सकैन करें।
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