Page 14 - MAN KI BAAT HINDI
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ज़मीन और कई फबसलडिंगस पर सोलर
        पैनलस लगाए गए। इन पैनलस से दी्
        में, फदन के समय, फजतनी फबजली की
        ज़रूरत  होती  है,  उससे  ़जयादा  फबजली
                                   े
        पैदा  हो  रही  है।  इस  सोलर  प्ोज्ट
        से  फबजली  खरीद  पर  खचचा  होने  ्ाल  े
        करीब 52 करोड़ रुपये भी बचे हैं। इसस  े
        पयाचा्रण की भी बड़ी रक्ा हुई है।
            साफथयो,  पुणे  और  दी्,  उनहोंन  े
        जो कर फदखाया है, ऐसे प्यास देशभर
                                                              े
        में  कई  और  जगहों  पर  भी  हो  रहे  हैं।   सांसकृफतक समबनधों को सफलब्ेट फकया
                                                           े
        इनसे पता चलता है फक पयाचा्रण और   गया।  ‘एक  भारत,  श्षि  भारत’  की
        प्कृफत  को  लेकर  हम  भारतीय  फकतन  े  भा्ना हमारे देश को मज़बूती देती है।
          ं
        स्ेदनशील  हैं  और  हमारा  देश,  फकस   हम जब एक-दूसरे के बारे में जानते हैं,
        तरह  भफ्षय  की  पीढ़ी  के  फलए  बहुत   सीखते हैं, तो एकता की ये भा्ना और
                                                      ू
        जाग्रत् है। मैं इस तरह के सभी प्यासों   प्गाढ़ होती है। यफनटी की इसी ससपररट के
        की हृदय से सराहना करता हँ। ू      साथ अगले महीने गुजरात के फ्फभन्न
                                          फहससों में ‘सौराषट्-तफमल संगमम्’ होन  े
            मेरे  पयारे  देश्ाफसयो,  हमारे  देश   जा रहा है। ‘सौराषट्-तफमल संगमम्’ 17
                                                 ै
        में  समय  के  साथ  ससथफत-पररससथफतयों   से 30 अप्ल तक चलेगा। ‘मन की बात’
        के अनुसार अनेक परमपराएँ फ्कफसत    के कुछ श्ोता ज़रूर सोच रहे होंगे फक
        होती हैं। यही परमपराएँ, हमारी संसकृफत   गुजरात  के  सौराषट्  का  तफमलनाडु  स  े
        का सामरयचा बढ़ाती हैं और उसे फनतय   ्या समबनध है? दरअसल, सफदयों पहल  े
        नूतन प्ाणशस्त भी देती हैं। कुछ महीन  े  सौराषट् के अनेकों लोग तफमलनाडु के
        पहले  ऐसी  ही  एक  परमपरा  शुरू  हुई   अलग-अलग फहससों में बस गए थे। य  े
        काशी  में।  काशी-तफमल  संगमम्  के   लोग आज भी ‘सौराषट्ी तफमल’ के नाम
        दौरान काशी और तफमल क्ेत् के बीच   से जाने जाते हैं। उनके खान-पान, रहन-
        सफदयों से चले आ रहे ऐफतहाफसक और   सहन,  सामाफजक  संसकारों  में  आज


















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