Page 15 - MAN KI BAAT HINDI
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भी कुछ-कुछ सौराषट् की झलक फमल     भेजे। आपको ये जानकर भी ख़ुशी होगी
          जाती है। मुझे इस आयोजन को लेकर    फक  अब  यह  एक  फगनीज़  फरकॉड्ट  बन
          तफमलनाडु से बहुत से लोगों ने सराहना   चुका है और सबसे बड़ी बात है और जो
          भरे  पत्  फलखे  हैं।  मदुरै  में  रहने  ्ाल  े  ़जयादा प्सन्नता की बात ये है फक ्ीर
          जयचंद्रनजी ने एक बड़ी ही भा्ुक बात   लफचत बोरिुकन पर ये जो फनबंध फलख  े
          फलखी  है।  उनहोंने  कहा  है  फक,  “हज़ार   गए हैं, उसमें करीब-करीब 23 अलग-
          साल  के  बाद  पहली  बार  फकसी  न  े  अलग  भाषाओं  में  फलखा  गया  है  और
          सौराषट्-तफमल के इन रर्तों के बारे में   लोगों ने भेजा है। इनमें असफमया भाषा
                                                            े
                                                           ं
          सोचा है, सौराषट् से तफमलनाडु आकर   के अला्ा, फहनदी, अग्रजी, बाँगला, बोडो,
          के बसे हुए लोगों को पूछा है।” जयचंद्रन   नेपाली, संसकृत, संथाली जैसी भाषाओं
          जी की बातें, हज़ारों तफमल भाई-बहनों   में लोगों ने फनबंध भेजे हैं। मैं इस प्यास
          की अफभवयस्त हैं।                  का फहससा बने सभी लोगों की हृदय स  े
              साफथयो, ‘मन की बात’ के श्ोताओं   प्शंसा करता हँ। ू
          को  मैं  असम  से  जुड़ी  हुई  एक  ख़बर
          के बारे में बताना चाहता हँ। ये भी ‘एक   मेरे पयारे देश्ाफसयो, जब क्मीर
                              ू
          भारत,  श्ेषि  भारत’  की  भा्ना  को   या श्ीनगर की बात होती है, तो सबसे
          म़जबूत करती है। आप सभी जानते हैं   पहले हमारे सामने, उसकी ्ाफदयाँ और
          फक हम ्ीर लफचत बोरिुकन जी की      डल झील की तस्ीर आती हैं। हम में से
          400्ीं जयनती मना रहे हैं। ्ीर लफचत   हर कोई डल झील के नज़ारों का लुतर्
          बोरिुकन ने अतयाचारी मुग़ल सलतनत    उिाना  चाहता  है,  लेफकन  डल  झील  में
          के  हाथों  से  ग्ाहाटी  को  आज़ाद   एक और बात ख़ास है। डल झील अपने
                       ु
          कर्ाया था। आज देश, इस महान योद्ा   स्ाफदषट लोटस सट्ीम–कमल के तनों
          के अदमय साहस से पररफचत हो रहा है।   या कमल ककड़ी के फलए भी जानी जाती
          कुछ  फदन  पहले  लफचत  बोरिुकन  के   है।  कमल  के  तनों  को  देश  में  अलग-
          जी्न  पर  आधाररत  फनबंध  लेखन  का   अलग  जगह,  अलग-अलग  नाम  से
          एक अफभयान चलाया गया था। आपको      जानते हैं। क्मीर में इनहें नदरू कहते
          यह  जानकर  आ्चयचा  होगा  फक  इसके   हैं। क्मीर के नदरू की फडमांड लगातार
          फलए  करीब  45  लाख  लोगों  ने  फनबंध   बढ़  रही  है।  इस  फडमांड  को  देखते  हुए


















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