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बत़ाय़ा चक अब तो बहुत बड़ी िीम बनती   प्ऱाकृचतक  संस़ाधन  हों,  नच्य़ाँ,  पह़ाड़,
        ज़ा रही है और आप इतनी बड़ी म़ात्ऱा में   त़ाल़ाब  य़ा  चिर  हम़ारे  तीि्व  सिल  हों,
                                             ें
        डेली क़ाम कर रहे हैं।             उनह  स़ाफ़  रखऩा  बहुत  जररी  है।  य  े
            प्र्ीप जी : ह़ाँ जी सर।       िटूररजम इंडसट्री की बहुत म्् करेग़ा।
            प्रध़ानमत्री  जी  :  और  मुझे  पूऱा   पय्विन में सवच्त़ा के स़ाि-स़ाि हमने
                 ं
                                                    ं
        चवशव़ास  है  चक  आपके  इन  प्रय़ासों   इनक्रेचडबल इचडय़ा मूवमेंि की भी कई
        से,  उसकी  िि़ा्व  से,  अब  तो  चकतने  ही   ब़ार िि़ा्व की है। इस मूवमेंि से लोगों को
        पव्वत़ारोही  सवच्त़ा  से  जुड़े  िोिो  पोसि   पहली ब़ार ऐसी चकतनी ही जगहों के ब़ार  े
        करने लगे हैं।                     में पत़ा िल़ा, जो उनके आस-प़ास ही िीं।
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            प्र्ीप जी : ह़ाँ जी सर ! बहुत।  मैं हमेश़ा ही कहत़ा हँ चक हमें चव्ेशों में
            प्रध़ानमत्री जी : ये अच्ी  ब़ात है, आप   िटूररजम पर ज़ाने से पहले हम़ारे ्ेश के
                 ं
        जैसे स़ाचियों के प्रय़ास के क़ारण वेसि   कम से कम 15 िटूररसि डेससिनेशन पर
        इज ऑलसो वेलि, ये लोगों के च्म़ाग   जरर ज़ाऩा ि़ाचहए और यह डेससिनेशन
        में अब ससिर हो रह़ा है और पय़ा्ववरण   चजस ऱाजय में आप रहते हैं, वह़ाँ के नहीं
        की भी रक़्ा अब हो रही है और चहम़ालय   होने ि़ाचहए, आपके ऱाजय से ब़ाहर चकसी
        क़ा जो हम़ाऱा गव्व है, उसको समभ़ालऩा,   अनय ऱाजय के होने ि़ाचहए। ऐसे ही हमन  े
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        सँव़ारऩा  और  स़ाम़ानय  म़ानवों  भी  जुड़   सवच् चसय़ाचिन, चसंगल यज पल़ाससिक
        रह़ा है। प्र्ीप जी बहुत अच़्ा लग़ा मुझे।   और ई-वेसि जैसे गमभीर चवषयों पर भी
                                                                    ु
        बहुत-बहुत धनयव़ा् भैय़ा।          लग़ात़ार  ब़ात  की  है।  आज  पूरी  ्चनय़ा
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            प्र्ीप जी : िैक यू सर, िैक यू सो   पय़ा्ववरण के चजस इशू को लेकर इतऩा
        मि, जय चहन्।                      परेश़ान है, उसके सम़ाध़ान में ‘मन की
            स़ाचियो,  आज  ्ेश  में  िटूररजम   ब़ात’ क़ा ये प्रय़ास बहुत अहम् है।
        बहुत तेजी से ग्ो कर रह़ा है। हम़ारे य  े  स़ाचियो, ‘मन की ब़ात’ को लेकर
                                          मुझे  इस  ब़ार  एक  और  ख़ास  सन्श
                                                                      े
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            हमारे अगले 25 िाल का ये       UNESCO  की  DG  ओद्  अ़ाजले  (Audrey
                                          Azoulay)  क़ा  आय़ा  है।  उनहोंने  सभी
           अमृतिकाल हर देशिािी के वलए
              कतिजावयकाल की तिरह है।




















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