क्यों अब पिताजी की फसल व्यासी नहीं सोती, क्यों अब पसीने की कमाई आधी नहीं होती। और कम पैसों में बीमा हो रहा है। पहले ऐसा नहीं होता था। आंधी, तूफान आ गया, कोई नुकसान किसी प्रकार का हो गया, उसका भी बीमा हमें मिल जाए। कैसे भैया के मोबाइल से मंडियां जुड़ जाती है? कैसे अब भैया की परेशानियां टल जाती है? पहले हमको लड़ाई झगड़ा करना पड़ता था, लेकिन अब अच्छी तरह से मिल रही है हमको। जितनी चाहते हैं उतनी मिल जाती है। अब फसल का डेढ़ गुना दाम मिल रहा है, जो पहले कभी नहीं मिला वो मिल रहा है। कम दाम मिलने पर... जो हमारे प्रिवारिक... जो खर्चे है उसमें कटौतियां होती थी। ना हम कोई यंत्र ले पाते थे। आज जब अच्छी फसल हमारा अच्छे दाम बिक रहे हैं, 25 से 30% का इजाफा हुआ है तो हम बच्चों की पढ़ाई भी करा रहे हैं। तो आने वाला समय जो है ना बच्चों का अच्छा होगा। कैसे? बात साफ है। एक एक किसान की शक्ति, तरक्की में बदल रही है। तभी तो, जो दशकों तक नहीं हुआ था, वो सिर्फ अड़तालीस महीनों में हुआ है।