Page 44 - Mann Ki Baat Hindi(MAY-2023)
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राष्टरीय संग्रहालय


                                                        ें
                    क्वरासि और शशक्ा का कद्र



                                              नई फदलली में राष्ट्रीय सग्हालय, देश
                                                              ं
                                          का एक ऐसा अग्णी संसथान है जो देश
                                          के प्तयक फहसस और फ्देशों के कुछ देशों
                                               े
                                                     े
                                          की सांसकफतक फ्रासत का प्फतफनफधत्
                                                  कृ
                                          करने  ्ाली  कला  और  पुरातत्  की
                                          2,10,000 से अफधक ्सतओं के फलए फ्श्
                                                           ु
                                                              ू
                                                                 े
                                          प्फसद् है। भारतीय ्सतएँ मफत्ययां, पुरातत्
                                                           ु
                                             ु
                                          ्सतओं,  कांसय,  टेराकोटा  तथा  लकड़ी
                                                    ु
                                          से  बनी  ्सतओं  के  संग्ह,  लघु  फचत्रों,
                                          पांडुफलफपयों, फसककों, फशलालेखों, हफथयारों
                 डरॉ. बी.आर. मफण          तथा क्च, आभरणां, ्सत्रों तथा ्ेशभरा
                                                      ू
                                                                      ू
                                                         े
          महाफनदेशक, राष्ट्रीय संग्हालय, नई   और मान्शासत्रीय ्सतओं के सग्ह के
                                                                  ं
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                     फदलली                माधयम से 8,000 ्रषों की भारतीय कला
                                          और  फशलप  कौशल  की  कहानी  कहती
                                                                      ू
                                          हैं। सग्हालय में मधय एफशया और प््य-
                                              ं
                                                                      े
                                                         कृ
                                          कोलफबयाई  कलाकफतयों  से  पुरा्शर,
                                              ं
                                                        ं
                                          दो  गैर-भारतीय  सग्ह  हैं।  हड़पपा  और
                                                                    वे
            भारत  में  हाल  के  ्रषों  में  तजी  स  े  मोहनजोदड़ो में भारतीय पुरातत् स्क्ण
                                 े
                                                            ु
        सग्हालय  संसकफत  का  फ्कास  हुआ   द्ारा खुदाई की गई ्सतओं सफहत फसंधु-
                     कृ
          ं
                                                               ु
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                                  कृ
        है जो हमारे देश की समद् सांसकफतक   सरस्ती  सभयता  की  ्सतएँ  प्फतकष््ठत
                                           ं
                                                            ु
        फ्रासत को समझने और उसका आनंद      सग्ह  हैं  जो  अनय  ्सतओं  के  अला्ा
        लेने  के  फलए  एक  स्ागत  योगय  पहल   भारत  और  फ्देशों  से  बड़ी  संखया  में
                  ं
        है।  पहले,  सग्हालयों  को  बड़े  पैमान  े  आगंतुकों को आकफर्यत करती हैं।
                                               ं
        पर  फ्द्ानों  और  शोधकता्यओं  के  फलए   सग्हालय  लगातार  अपनी  दीघा्यओं
          ै
        शक्फणक ज्ाान को बढ़ाने के सथानों के   को फ्कफसत करता है और आगंतुकों को
                                               ं
                                                     ु
        रूप में देखा जाता था, जो प्दफश्यत ्गमीकत   नए सग्ह प्सतत करता है। तथाफप कुछ
                                    कृ
                                                               ं
        कायषों के दसता्ेजीकरण, वयाखया और   प्मुख  दीघा्यएँ  और  उनके  सग्ह  हमेशा
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        प्काशन  समबनधी  अधययन  में  शाफमल   प्दफश्यत फकए जाते हैं। कयरेटरों के बीच
                        ं
        थे। परंतु अब प्धानमत्री नरनद् मोदी के   स्सथ प्फतसपधा्य और आगंतुकों को नई
                             े
        नेतृत् में, आम जनता और फ्द्ाफथ्ययों के   सामग्ी फदखाने के फलए, 2017 में यह फनण्यय
             ं
        बीच सग्हालयों के प्फत रुफच बढ़ रही है,   फलया गया फक इन-हाउस प्दश्यफनयों की
                      ृ
                                    कृ
        जो  भारत  के  समद्  इफतहास,  संसकफत   एक  �ंखला  शुरू  की  जाए,  फजसका
                                             ्य
        और  कला  के  प्फत  बढ़ती  जागरूकता,   शीरक है- ‘�रॉम आ्र ररज््य...’। इसमें
                                                              ं
                                           ं
        पय्यटन  के  बढ़ते  महत््  और  शफक्क   सग्हालय  के  आरफक्त  सग्ह  में  कम
                                  ै
                                                              ु
                                                         ू
        तथा  सांसकफतक  संसथानों  के  रूप  में   संखया में ्े महत््पण्य ्सतएँ हैं फजनकी
                 कृ
        सग्हालयों को बढ़ा्ा देने के सरकार के   ओर आम तौर पर फकसी का धयान नहीं
          ं
                                                  ें
        प्यासों का सकारातमक पररणाम है।    जाता। इनह लगभग एक महीने के फलए
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