Page 32 - Mann Ki Baat Hindi(MAY-2023)
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भारिरीय संग्रहालय


                                                              रे
           अतीत, वत्धर्ान और भववष्य  की बरोरगम्यता क प्रतीक



                                                                    कृ
             जब  हम  इफतहास  की  यादों  को   भारत  एक  समृद्  सांसकफतक
        संजोकर  रखते  हैं  तो  ्ो  आने  ्ाली   फ्रासत  का  देश  है।  इस  फ्रासत
                                                         ्य
        पीफढ़यों की बहुत मदद करता है। कई   के  मुखय  आकरण  इसकी  कला,
        बार मयूफजयम में हमें नए सबक फमलते   ्ासतुकला, शासत्रीय नृतय, संगीत, ्सत्र,
        हैं तो कई बार हमें बहुत कुछ सीखने   ्नसपफतयों  तथा  जी्ों,  भोजन,  फशलप
        को फमलता है।                      और ज्ाान प्णाफलयों के खजाने में फनफहत
                    -प्धानमंत्री नरेनद् मोदी   हैं। सराहना के योगय होने के साथ-साथ,
             (‘मन की बात’ के समबोधन में )  दुफनया  की  सबसे  पुरानी  सभयताओं  में
                                          शाफमल  भारतीय  सभयता  की  अफद्तीय
                                          बहुरूपदश्यक  फ्फ्धता,  इसके  संरक्ण
                                          तथा सं्ध्यन को अफन्ाय्य करती है और
                                          इसके फलए संग्हालयों से बेहतर सथान
                                          कया हो सकते हैं?
                                             भारत में 1,000 से अफधक संग्हालय
                                                                   कृ
                                          हैं,  जो  हमारी  ्रषों  पुरानी  सांसकफतक,
                                          धाफम्यक  और  ्ैज्ााफनक  उपलक्धयों  के
                                          समृद् और फ्फ्ध फमश्ण का प्फतफनफधत्

         “प्धानमंत्री नरेनद् मोदी के नेतृत् में   करते  हैं।  1814  में  सथाफपत,  कोलकाता
         आम जनता और फ्द्ाफथ्ययों के बीच   का  भारतीय  संग्हालय  देश  का  पहला
         संग्हालयों के प्फत रुफच बढ़ रही है,   सा््यजफनक  संग्हालय  था।  इसके  बाद,
         जो भारत के समृद् इफतहास, संसकफत   समूचे भारत में फ्फभन्न रुफचयों के कई
                                  कृ
         और  कला  के  प्फत  बढ़ती          संग्हालय  बनाए  गए,  फजनहोंने  हमारे
         जागरूकता, पय्यटन के बढ़ते महत््   समाज के इफतहास को संरफक्त करने में
         और  शैफक्क  तथा  सांसकफतक        अफभन्न भूफमका फनभाई है। यह इफतहास
                                 कृ
         संसथानों  के  रूप  में  संग्हालयों   अलग-अलग  रूपों  में  मौजूद  है,  जैसे
         को  बढ़ा्ा  देने  के  सरकार  के   फक कला, संसकफत, फ्ज्ाान या प्ाककृफतक
                                                      कृ
         प्यासों का सकारातमक पररणाम है।”  ्सतुएँ।  पेंफटिंग,  नककाफशयों,  दसता्जों,
                                                                     े
                       -डरॉ. बी.आर. मफण   मूफत्ययों, मुद्ाओं, औजारों और हफथयारों
            महाफनदेशक, राष्ट्रीय सग्हालय  आफद  का  प्दश्यन  हमें  अपने  पू््यजों  के
                              ं


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