Page 38 - MKV (Hindi)
P. 38

नाररी शतति : िवकससि भारि की


                                                  जरीवन शतति




                                          सशकतीकरण एक ऐस़ा चवषय है, चजसके
                                          ब़ारे में प्रध़ानमत्री ने ‘मन की ब़ात’ के
                                                     ं
                                          लगभग सभी एचपसोड में चनशिय ही िि़ा्व
                                          की है।
                                                   ं
                                              प्रध़ानमत्री ने चवशव़ास वयकत चकय़ा
                                          है  चक  मचहल़ाएँ  चसि्क  म़ाँ,  बहनें  और
                                          बचिय़ाँ नहीं हैं, बसलक सम़ाज की सच्ी
                                           े
                                          चशलपक़ार हैं। उनके नेतृतव में सरक़ार
                                                                   ु
                                          ने कई कलय़ाणक़ारी योजऩाएँ शर की
                  रवीऩा िंडन             हैं, चजनक़ा उद्शय मचहल़ाओं को सशकत
                                                    े
                   अचभनेत्री              बऩाऩा और उनह भ़ारत की चवक़ास य़ात्ऱा
                                                      ें
                                          क़ा नेतृतव करने ल़ायक बऩाऩा है। बिी
                                                                      े
            पूरे  इचतह़ास  में  मचहल़ाओं  ने  न   बि़ाओ, बिी पढ़़ाओ, प्रध़ानमत्री उज्वल़ा
                                                 े
                                                              ं
        केवल  सि़ाचयतव  सचनसशित   चकय़ा  है,   योजऩा, मचहल़ा ई-ह़ाि आच् जैसी अनेक
                       ु
        बसलक ऱाष्ट्रों के ्ीघ्वक़ाचलक चवक़ास में   योजऩाओं के म़ाधयम से मचहल़ा उद्चमयों
        भी योग़्ान च्य़ा है। जब हम अपने ्ेश   को अपने उतप़ा्ों को प्र्चश्वत करने और
        की ब़ात करते हैं, तो भ़ारत के इचतह़ास में   बिने में सक्म बऩाकर, सरक़ार सभी
                                           े
                े
        ऐसी कई प्ररक मचहल़ाएँ रही हैं, चजनहोंन  े  मचहल़ाओं को सशकत बऩाने क़ा प्रय़ास
        लोगों  क़ा  नेतृतव  चकय़ा  और  अनय   कर रही है। रचडयो एक बहुत ही सशकत
                                                    े
        मचहल़ाओं के चलए इसके अनुसरण क़ा   मि है। प्रध़ानमत्री ने ‘मन की ब़ात’ के
                                                     ं
                                           ं
        म़ाग्व प्रशसत चकय़ा। आज, हम़ारे ्ेश की   म़ाधयम से ऱाष्ट्र के चवक़ास हेतु मचहल़ा
        मचहल़ाएँ लैंचगक ब़ाध़ाओं को तोड़ रही हैं   सशकतीकरण  के  महत्व  को  उज़ागर
        और चवचभन्न क्ेत्रों में ब़ाध़ाओं से ऊपर   करने के चलए एक मि के रप में रचडयो
                                                                    े
                                                         ं
        उ् रही हैं।                       क़ा अच्ी तरह से उपयोग चकय़ा है।
            मचहल़ा  सशकतीकरण  क़ा  मुद़्ा     इसके अल़ाव़ा, प्रध़ानमत्री ‘मन की
                                                              ं
              ं
        प्रध़ानमत्री  के  च्ल  के  करीब  है।  कई   ब़ात’ के म़ाधयम से न केवल इन मचहल़ा-
        मौकों पर उनहोंने इसके ब़ारे में ब़ात की   कचद्त योजऩाओं के ब़ारे में ज़ागरकत़ा
                                            रें
        है  चक  कैसे  ऩारी  शसकत  एक  चवकचसत   बढ़़ाते  हैं,  बसलक  सव़ासरय,  खेल,  रक़्ा,
                                 ं
        भ़ारत की जीवन शसकत है। प्रध़ानमत्री के   चवम़ानन और अनय क्ेत्रों में मचहल़ाओं
                े
        म़ाचसक रचडयो क़ाय्वक्रम ‘मन की ब़ात’   की  उललखनीय  उपलस्धयों  क़ा  जश्न
                                                 े
        ने अपने 100 एचपसोड पूरे कर चलए हैं।   भी मऩाते हैं। ‘मन की ब़ात’ ने चसय़ाचिन
        यह ज़ानकर खुशी हो रही है चक मचहल़ा   में  ऑपरेशनल  रप  से  तैऩात  होन  े
                                      34
                                      34
   33   34   35   36   37   38   39   40   41   42   43