Page 17 - Mann Ki Baat Hindi
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िीमाओं के ्ार सदलों को एकजुट करने

                                                 ्वाली आ्वा़ि
                                             भू्ेन ह़िाररका


                                              ु
                                        x  ‘ब्रह्म्रि के कस्व’ और ‘िुदकंठ’ के नाम िे
                                         प्सिद
                                        x  उनके प्सिद गीत ‘सबसतॉनने ्ारेरे’ की धुन
                                         और सिरिांकन रॉबिन के ‘ओल मैन रर्वर’ ्र
                                         आधाररत है।
                                        x  ढोला-िासदया ्ुल (अिम) को उनके िममान
                                         में आसधकाररक तौर ्र डॉ. भू्ेन ह़िाररका िेतु
                                         कहा जाता है।
                                                                  ु
          कुछ  ्वर्त  ्हले  ्द्मश्री  िे  िममासनत   ने टसंहली और तटमल में अन्वाद टकया
          सकया गया था। मैं ‘िौनतख मंड्ा’ ि  े  है। मैंने आपको इनहीं का audio सुनाया
          जुड़े िभी लोगों को बहुत बधाई देता ह  ँ ू  है। कुछ टदनों पहले मुझे असम में उनके
          और भस्वष्य के प्यािों के सलए उनहें   जनम-शता्दी समारोह में शाटमल होने का
          शुभकामनाएँ देता हँ। ू             सौभागय टमला था। यह ्वासत्व में एक बहुत
              िासथयो,  अब  मैं  आपको  दो  छोिी   ही यादगार कायमाक्रम रहा।
                            ू
          audio clip सुना रहा हँ, इन पर धयान   िासथयो, अिम आज जहाँ भू्ेन
          दीटजएगा –                         ह़िाररका  जी  की  जनमशताबदी  मना
                                            रहा है, ्वहीं कुछ सदनों ्हले एक दुखद
                                            िमय भी आया है। ़िुबीन गग्त जी के
                                            अिामसयक सनधन िे लोग शोक में हैं।
              अब दूसरी clip भी सुटनए –







              िासथयो,  ये  आ्वाज  इि  बात  की
                        ू
          िाक्ी है सक कैिे भ्ेन हजाररका जी के
          गीतों िे दसनयाभर के अलग-अलग देश
                 ु
          आ्ि में जुड़ते हैं। दरअसल श्रीलंका में
          एक बेहद ही सराहनीय प्रयास हुआ है।
          इसमें भूपेन दा जी के प्रटतशष्ठत गीत ‘मनुहे-
          मनुहार बाबे’ इसका श्रीलंकाई कलाकारों


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