Page 16 - Mann Ki Baat Hindi
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राष्ट्र के टलए समपमाण का भा्व रखने की है। हम िब जानते हैं, महसर्त ्वालमीसक
प्रेरणा है। गुरुजी गोल्वलकर जी के इस भारतीय िंसकसत के सकतने बड़े आधार
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्वा्य ने लाखों स्वयंसे्वकों को तयाग और हैं। ये महटषमा ्वालमीटक ही थे, टजनहोंने हमें
से्वा की राह टदखाई है। तयाग और से्वा भग्वान राम की अ्वतार कथाओं से इतन े
की भा्वना और अनुशासन की सीख यही ट्वसतार से पररटचत कर्वाया था। उनहोंन े
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संघ की सच्ी ताकत है। आज RSS मान्वता को रामायण जिा अद भुत ग्रथ
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िौ ्वर िे सबना थके, सबना रुके, राष्ट् सदया।
ि्वा के काय्त में लगा हुआ है। इिीसलए िासथयो, रामायण का ये प्रभा्व उसमें
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हम देखते हैं, देश में कहीं भी प्ाककृसतक समाटहत भग्वान राम के आदशषों और
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आ्दा आए, RSS के स्वयंि्वक मूलयों के कारण है। भग्वान राम ने स्वा,
िबिे ्हले ्वहाँ ्हुँि जाते हैं। लाखों समरसता और करुणा से सबको गल े
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लाख स्वयंि्वकों के जी्वन के हर कम्त, लगाया था। इसीटलए हम देखते हैं, महटषमा
हर प्याि में राष्ट् प्थम nation first ्वालमीटक की रामायण के राम, माता शबरी
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की यह भा्वना हमेशा ि्ववो्रर रहती है। और टनषादराज के साथ ही पणमा होते हैं।
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मैं राष्ट्ि्वा के महायज्ञ में स्वयं को इसीटलए साटथयो, अयोधया में जब राम मटदर
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िमस्त कर रहे प्तयेक स्वयंि्वक को का टनमामाण हुआ, तो साथ में टनषादराज और
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अ्नी शुभकामनाएँ अस्त करता हूँ। महटषमा ्वालमीटक का भी मटदर बनाया गया
मेरे पयारे देश्वासियो, अगले महीन े है। मेरा आ्िे आग्रह है, आ् भी जब
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7 अ्तबर को महसर्त ्वालमीसक जयंती अयोधया में रामलला के दश्तन करने जाएँ,
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तो महसर्त ्वालमीसक और सनरादराज मसदर
के दश्तन जरूर करें।
मेरे पयारे देश्वासियो, कला,
साटहतय और संसककृटत की सबसे खास
बात होती है टक ये टकसी एक दायर े
में बंधी नहीं होती। इनकी सुगंध सभी
सीमाओं को पारकर लोगों के मन को
छूती है। हाल ही में Paris के एक
Cultural Institute ‘िौनतख
मंड्ा’ ने अ्ने 50 ्वर्त ्ूरे सकए हैं।
इि centre ने भारतीय नृतय को
लोकसप्य बनाने में अ्ना वया्क
योगदान सदया है। इिकी सथा्ना
समलेना िालस्वनी ने की थी। उनहें
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