Page 56 - MAN KI BAAT HINDI
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डॉ. सफमत गैरोला
नोडल ्ैज्ााफनक (CSIR-अरोमा फमशन)
अररोमा नमशन क सार आत्मननभ्थर बन रह ह
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जम्-कश्ीर क ककसान
IIIM-जमम भारत सरकार के आज आप जैसा फक देख सकते हैं
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फ्ज्ाान और प्ौद्ोफगकी मंत्ालय के तहत फक भद्र्ाह जैसे क्ेत्, फजसका उललख
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एप्स साइफटफर्क बॉडी, ्ैज्ााफनक और प्धानमंत्ी ने ‘मन की बात’ के 99्ें
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औद्ोफगक अनुसंधान पररषद (CSIR) के एफपसोड में फकया, ्हाँ के फकसान ल्ेंडर
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अरोमा फमशन की एक प्योगशाला है। की िसल लगा रहे हैं और कािी िायदा
यहाँ हम फ्फभन्न औषधीय सुगफधत पौधों पा रहे हैं। इसे आज फ्््भर में बैंगनी
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की सघन िसलों पर काम करते हैं। रिासनत के नाम से जाना जा रहा है। इस
जब प्धानमंत्ी ने 2014 में फकसानों फमशन के अनतगचात हमने कोफशश की
की आय को दोगुना करने का लक्य फक फकसानों तक पहँचें, उन तक ल्ेंडर
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फदया तो हमारे ्ैज्ााफनकों ने कािी शोध की िसल लेकर जाएँ, (फजसका करीब
फकया और इस पर गहन फचनतन फकया। 99 प्फतशत से ़जयादा आयात फकया जाता
हमने पाया फक कुछ ऐसी सुगफधत िसलें है) और फकसानों को उसमें आतमफनभचार
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हैं या फजनहें अरोमफटक रिाॅपस भी कहा बनाएँ।
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जाता है, उनमें फकतना ़जयादा अनटैपड यहाँ के फकसान कािी मेहनती हैं
पाेटेंफशयल है, पर आज तक इन पर कोई और प्गफतशील हैं। उनहोंने ल्ेंडर की
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खास काम हुआ नहीं है और ये फकसानों खेती को हाथोहाथ अपनाया है। तकरीबन
तक नहीं पहँची हैं। हमने फनणचाय फलया 6 साल हमने मेहनत की और फ्ज्ाान
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फक हम ऐसी िसलों को फकसानों तक ए्ं प्ोद्ोफगक मंत्ालय के राजय मंत्ी,
लेकर जाएँगे और उसी कड़ी में 2017 में डॉ. जीतनद्र फसंह ने इस कायचा को आग े
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अरोमा फमशन की शुरुआत की गई। ले जाने के फलए हमे कािी प्ोतसाफहत
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