Page 48 - Mann Ki Baat - Hindi
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्न बनाने में सिल हुए हैं। का उपयोग करके तैयार फकया जाता है।
प्धानमंत्ी श्ी नरेनद्र मोदी के नेतत् जंगल को पाँच श्ेफणयों के पौधों के साि
मृ
में भारत बुफनयादी ढाँचे के फ्कास फडज़ाइन फकया गया है, जो एक परतदार
में तेज़ी से आगे बि रहा है। हालाँफक संरचना बनाते हैं। 1 से 2 साल के भीतर
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पया्द्रण समबनधी ्ो्ी-मो्ी रुका््ें जंगल 12 से 15 िी् की ऊचाई तक बि
हो सकती हैं, लेफकन इनके प्भा् को जाता है। भले ही आपके पास सीफमत
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कम करने के फलए उपाय फकए जा सकते भफम उपल्ध हो, आप प्फत ्ग्द मी्र
हैं। फमया्ाकी मॉडल को लागू करने अफधकतम चार पेड़ लगाकर फमया्ाकी
के फलए चट्ानी पहाड़ों, नदी-त्ों और ्न बना सकते हैं। यह पद्धफत 50 से 100
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रासायफनक तिा शहरी डमप याड्ट जैसी ्ग्द मी्र की ्ो्ी भफम पर भी प्भा्ी है,
बंजर भूफम की पहचान की जा सकती है फजसका उ्लेिनीय प्भा् पड़ता है।
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और उसका उपयोग फकया जा सकता है। प्धानमंत्ी ने हमेशा ्ो्े गा्ों के
यह मॉडल ्ने जंगलों का फनमा्दण करता वयककतयों की उपलक्धयों को मानयता
है, जो प्भाफ्त क्ेत् से लगभग सौ गुना दी है, जो भारत के फ्कास के प्तीक के
अफधक काब्दन की मात्ा को अ्शोफरत रप में काम करते हैं। हम यह सुनकर
करके पया्द्रणीय क्फत की भरपाई कर बहुत रोमाफचत हुए फक मोदी जी ने हाल
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सकता है। में अपने ‘मन की बात’ समबोधन के
फमया्ाकी जंगल फ्कफसत करने में दौरान फमया्ाकी ्न तकनीक की
सिानीय पया्द्रण का फ््लेरण करना अ्धारणा की प्शंसा की और लोगों को
और देसी फकसमों सफहत उपयुकत पौधों सकारातमक पया्द्रणीय प्भा् डालन े
का चयन करना शाफमल है। फमट्ी की के फलए कहीं भी ऐसे ्न सिाफपत करन े
उ््दरता के फलए जफ्क िाद का उपयोग के फलए प्ोतसाफहत फकया। अपने समबोधन
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फकया जाता है, फजसे जेसीबी और िाद के दौरान उनहोंने भुज में सममृफत्न का
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