पृष्ठभूमि/पुस्तिका का उद्देश्य
चूंकि लोकतंत्र के लिए एक सूचित नागरिक वर्ग तथा सूचना की पारदर्शिता अपेक्षित होती है जो कि इसकी कार्यविधि के प्राणाधार हैं तथा भ्रष्टाचार का विरोध करने के लिए व सरकारों तथा इसके कर्णकारों को शासितों के समक्ष जवाबदेह बनाने के लिए, प्रत्येक जन अधिकारी के कार्य में पारदर्शिता व जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा जन अधिकारियों के नियंत्रण में सूचना के अधिकार को व्यावहारिक शासन प्रणाली में आरंभ करने हेतु सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 लागू किया गया।
यह अधिनियम लोक प्राधिकारियों को सूचना की निश्चित मदों को प्रकाशित करने के लिए बाध्य करता है। यह पुस्तिका विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय द्वारा धारा 4(2)(ख) के अंतर्गत प्रकाशित की जाती है तथा इसमें संस्था से संबंधित वो सारी सूचनाएं एक ही स्थान पर उन नागरिकों को प्रदान की जाती है जो उसे प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं, यह सूचना विदृप्रनि की वेबसाइट (http://www.davp.nic.in) पर भी उपलब्ध है।
पुस्तिका में सूचना की व्यवस्था
यह पुस्तिका विदृप्रनि के अधिकारियों और कर्मचारियों की निर्देशिका, उनकी शक्तियों और कर्त्तव्यों तथा मासिक पारिश्रमिक आदि की जानकारी देने के साथ-साथ विदृप्रनि एवं इसके कार्य और कर्त्तव्यों का विवरण उपलब्ध कराती है। इस पुस्तिका में गतिविधियों का निर्वहन करने के लिए, निर्णय लेने की प्रक्रिया, निर्धारित शर्तें व नियम, विनियम इत्यादि की सूचना होती है। इस नियम पुस्तिका में जनता के सदस्यों द्वारा परामर्श की व्यवस्था की सूचना; बोर्डों, परिषदों, सलाह के उद्देश्य से दो या अधिक लोगों की समिति बनाने का विवरण; बजट, योजनाएँ तथा खर्चे; आर्थिक सहायता कार्यक्रम, यदि कोई हों तो उनके कार्यपालन के तरीके की सूचना; छूट, अनुज्ञा-पत्रों, प्रदत्त प्राधिकार, यदि लागू हो तो उनका विवरण; इलैक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध सूचना तथा नागरिकों को सूचना प्राप्त कराने के लिए उपलब्ध सुविधाओं का विवरण शामिल है।
परिभाषाएँ
इस नियम-पुस्तिका में, जब तक कि अन्यथा संदर्भ अपेक्षित न हो : -
- क) 'केंद्रीय जन सूचना अधिकारी' अर्थात् अधिनियम की धारा 5 की उपधारा (1) के अंतर्गत निर्दिष्ट केंद्रीय सहायक जन सूचना अधिकारी;
- ख) केंद्रीय सूचना आयोग से अभिप्राय है धारा 12 की उपधारा (1) के अंतर्गत गठित केंद्रीय सूचना आयोग;
- ग) ''मुखय सूचना आयुक्त'' तथा ''सूचना आयुक्त'' से अभिप्राय है धारा 12 की उपधारा(3) के अंतर्गत नियुक्त किया गया मुखय सूचना आयुक्त तथा सूचना आयुक्त;
- घ) 'सूचना' से अभिप्राय है किसी भी रूप में कोई भी सामग्री, इसमें रिकॉर्ड, दस्तावेज़, ज्ञापन, ई-मेल, राय, सलाह, प्रेस प्रकाशनी, परिपत्र, आदेश, लॉगबुक्स, संविदाएं, प्रतिवेदन, कागज़ात, नमूने, मॉडल्स, किसी भी इलैक्ट्रॉनिक रूप में रखी हुई आधार सामग्री, किसी भी निजी निकाय से संबंधित सूचना जिस तक कोई जन प्राधिकारी उस समयावधि में लागू किसी भी अन्य कानून के अंतर्गत पहुँच सकता है।
- ङ) 'निर्धारित' से अभिप्राय है उचित सरकार या सक्षम प्राधिकारी, जो भी हो, द्वारा बनाए गए अधिनियम के अंतर्गत नियमों में निर्धारित।
- च) 'रिकॉर्ड' में शामिल हैं:-
- 1.कोई दस्तावेज़, पाण्डुलिपि तथा फाइल;
- 2.कोई सूक्ष्मफिल्म, माइक्रोफ़िश तथा किसी दस्तावेज़ की प्रतिक्रति;
- 3.किसी प्रतिबिंब की या प्रतिबिंबों का ऐसी माइक्रोफ़िल्म के प्रतिक्रति बनाना (चाहे उसे बड़ा किया गया हो या नहीं)
- 4. कंप्यूटर या किसी अन्य मशीन से तैयार की गई अन्य सामग्री।
- छ) 'सूचना के अधिकार' से अभिप्राय उस सूचना के अधिकार से है, जिसे इस अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त किया जा सकता है तथा जो लोक प्राधिकारी के पास अथवा उसके नियंत्रण में हो और जिसमें निम्नलिखित अधिकार शामिल हों:-
- 1. कार्य का, दस्तावेज़ों का तथा रिकार्डो का निरीक्षण;
- 2. प्रमाणित दस्तावेज़ों व रिकार्डों की प्रतिलिपि के नोट्स, उद्धरण लेना;
- 3. सामग्री का प्रमाणित किया हुआ नमूना लेना;
- 4. डिस्कों, फ्लॉप्पियों, टेपों, विडियो कैसेटों या किसी अन्य इलैक्ट्रॉनिक माध्यम से या जहाँ पर ऐसी सूचना को कंप्यूटर में या किसी अन्य मशीन में स्टोर किया जा सके, प्रिंटआउट से सूचना प्राप्त करना;
- ज) 'तृतीय पक्ष' का अभिप्राय सूचना मांगने वाले व्यक्ति, नागरिक के अतिरिक्त उस अन्य व्यक्ति से है, जिसमें लोक प्राधिकारी भी शामिल हैं।
- झ) अभियान से तात्पर्य प्रेस विज्ञप्ति, श्रव्य-दृश्य स्पॉट्स/कार्यक्रम, मुद्रित सामग्री, बाह्यकृति तथा मास मेलिंग जैसे संचार माध्यमों के द्वारा आयोजित प्रचार गतिविधियाँ हैं।
- ञ) 'इम्पैनलमैंट' अर्थात् प्रचार कार्यों के लिए निर्धारित मार्गदर्शी सिद्धांतों के आधार पर चयनित समाचारपत्रों/पत्रिकाओं, निर्माताओं, मुद्रकों तथा एजेंसियों का पैनल।
- ट) 'मीडिया प्लान' अर्थात् अनुमानित लागत के साथ प्रचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा किसी विषय पर जागरूकता पैदा करने के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार योजना
- ठ) 'स्पॉट्स अर्थात् इलैक्ट्रॉनिक चैनलों के माध्यम से प्रसारित होने वाले दृश्य-श्रव्य संदेश/विज्ञापन।
- ड) 'दर अनुबंध' अर्थात् एक विशेष अवधि में किसी विशिष्ट कार्यविधि की दर।
- ढ) 'ग्राहक' अर्थात् विदृप्रनि के पैनल में आने वाले समाचारपत्र/पत्रिकाएँ, एजेंसियों इत्यादि के अतिरिक्त सार्वजनिक उपक्रम तथा उनके अंतर्गत आने वाले स्वायत्त निकायों के अतिरिक्त केंद्रीय सरकार मंत्रालय/विभागों को भी सम्मिलित किया जाता है।
- ण) 'बाह्य प्रचार' अर्थात् होर्डिंग, किऑस्क, बस बैक पैनल, बैनर इत्यादि बाह्य फॉमैटों के माध्यम से प्रचार।
- त) 'प्रेस विज्ञापन' अर्थात् ग्राहक मंत्रालयों/विभागों इत्यादि की तरफ से इम्पैनलड प्रकाशनों द्वारा जारी किए जाने वाला विज्ञापन।
- थ) मुद्रित प्रचार अर्थात् पोस्टर, फोल्डर, बुकलेट, कैलेंडर इत्यादि मुद्रित प्रचार के माध्यम से प्रचार।
- द) 'मास मेलिंग' अर्थात् प्रचार की अपेक्षानुसार लोगों/संस्थाओं के चिन्हित समूह को मुद्रित सामग्री का विरतण।
लोगों से संपर्क/प्रक्रिया तथा सूचना प्राप्त करने के लिए शुल्क
यदि कोई व्यक्ति नियम पुस्तिका में दी गई सूचना तथा विदृप्रनि से संबंधित किसी प्रकार की कोई सूचना चाहता है तो वह विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय द्वारा नामित केंद्रीय जन सूचना अधिकारी या सहायक जन सूचना अधिकारी जिसका संपर्क विवरण इस नियमपुस्तिका के अध्याय VIII में दिया गया है, को आवेदन कर सकता है। सूचना प्राप्ति प्रक्रिया व शुल्क संरचना इस पुस्तिका के अध्याय XVIII में दी गई है।