chap18 | केन्द्रीय संचार ब्यूरो

अध्याय XVIII - (मैनुअल-17) वापिस मुद्रण

सूचना का अधिकार की प्रक्रिया/सूचना प्राप्त करने के लिए फीस तथा प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

सूचना के अधिकार पर प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

यह 12 अक्तूबर, 2005 से लागू हुआ (15 जून 2005 को इसका अधिनियम बनने के 120 वें दिन)/कुछ प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू हो गए थे जैसे कि सार्वजनिक प्राधिकरणों के दायित्व एस4 (1), सार्वजनिक सूचना अधिकारी तथा सहायक सार्वजनिक सूचना अधिकारियों के पद एस 5 (1) तथा (2), केंद्रीय सूचना आयोग का गठन (एस 12 तथा 13), राज्य सूचना आयोग का गठन (एस 15 तथा 16), आसूचना तथा सुरक्षा संगठनों पर अधिनियम का लागू न होना (एस 24) अधिनियम के प्रावधानों का पालन करने के लिए नियम बनाने की शक्ति (एस 27 तथा 28)।

यह अधिनियम जम्मू तथा कश्मीर राज्य के अलावा समग्र भारत देश पर लागू है।

सूचना से अभिप्राय है किसी भी रूप में कोई भी सामग्री जिसमें रिकार्ड, दस्तावेज, ज्ञापन, ई-मेल, राय, सलाह, प्रेस रिलीज, परिपत्र, आदेश, लॉगबुक, करार, रिपोर्ट, पेपर, नमूने, मॉडल, किसी भी यांत्रिक रूप में रखी हुई डेटा सामग्री तथा किसी भी निजी निकाय से संबंधित सूचना जिसे सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा उस समय लागू किसी भी अन्य कानून के तहत्‌ प्राप्त किया जा सके, शामिल है लेकिन ''फाईल टिप्पणियां'' इसके अंतर्गत नहीं आती हैं। [(एस.2(एफ)] ।

इसमें शामिल हैं :-

  • कार्य, दस्तावेज, रिकार्ड का निरीक्षण करने का अधिकार।
  • दस्तावेज अथवा रिकार्ड में से नोट्‌स, सामग्री अथवा उसकी प्रमाणित प्रतियां लेने का अधिकार।
  • सामग्री का प्रमाणित नमूना लेने का अधिकार।
  • प्रिंट आउट, डिस्क, फ्लॉपियां, टेप, वीडियो कैसट अथवा किसी अन्य यांत्रिक माध्यम से अथवा प्रिंटआउट लेकर सूचना प्राप्त करने का अधिकार। [एस2 (जे)]

अधिनियम बनने के एक सौ बीस दिनों के भीतर यह प्रकाशित हो जाना चाहिएः-

  • उसके संगठन का विवरण, कार्य तथा दायित्व;
  • उसके अधिकारियों तथा कर्मचारियों की शक्तियां तथा दायित्व;
  • निर्णय लेने की प्रक्रिया में अपनाई जाने वाली प्रणाली, जिसमें पर्यवेक्षण तथा जवाबदेही के माध्यम भी शामिल हैं;
  • कार्यों के निष्पादन के लिए उसके द्वारा तय किए गए मानक;
  • इसके कार्यों के निष्पादन के लिए इसके कर्मचारियों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले नियम, विनियम, निर्देश, नियम पुस्तिका तथा रिकार्ड;
  • इसके द्वारा धारित अथवा इसके नियंत्रणाधीन दस्तावेजों की श्रेणियों का विवरण;
  • नीति बनाने अथवा उसके क्रियान्वयन के संबंध में परामर्श के लिए की गई व्यवस्था अथवा जनता के सदस्यों द्वारा अभ्यावेदन का विवरण;
  • इसके द्वारा गठित बोर्ड, परिषद, समिति अन्य निकायों का विवरण जिसमें दो या दो से अधिक लोग हों। साथ ही, यह सूचना कि क्या इनकी बैठकें जनता के लिए खुली हैं अथवा इस प्रकार की बैठकों के कार्यवृत्त जनता की पहुंच में हैं;
  • इसके अधिकारियों तथा कर्मचारियों की निर्देशिका;
  • इसके प्रत्येक अधिकारी तथा कर्मचारी द्वारा प्राप्त किया जाने वाला मासिक पारिश्रमिक, इसके विनियमों में दी गई प्रतिपूर्ति की प्रणाली को भी शामिल करना;
  • इसकी प्रत्येक एजेंसी को आबंटित बजट जिसमें इसकी सभी योजनाओं का विवरण, प्रस्तावित व्यय तथा किए गए संवितरण की रिपोर्ट;
  • सब्सिडी कार्यक्रमों के निष्पादन की प्रणाली, जिसमें आबंटित राशि तथा इस प्रकार के कार्यक्रमों का विवरण तथा लाभार्थी शामिल हैं;
  • रियायत के प्राप्तकर्ताओं का विवरण, इसके द्वारा अनुमोदित परमिट तथा प्राधिकार;
  • यांत्रिक रूप में उपलब्ध सूचना का विवरण;
  • सूचना प्राप्त करने के लिए नागरिकों को उपलब्ध सुविधाओं का विवरण, पुस्तकालय अथवा अध्ययन कक्ष के कार्य घंटों को शामिल करते हुए ; यदि सार्वजनिक उपयोग के लिए बनाई गई हो;
  • सार्वजनिक सूचना अधिकारी का नाम, पदनाम तथा अन्य ब्योरा [एस 4 (।)(बी)]

निम्नलिखित को प्रकटन से छूट प्राप्त है [एस (8)]

  • सूचना, जिसके प्रकटन से भारत की संप्रभुता और अखण्डता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है तथा अपराध को बढ़ावा मिल सकता है। राज्य की सुरक्षा, युद्धनीति, वैज्ञानिक तथा आर्थिक हित, विदेशी राज्यों से संबंध;
  • वह सूचना जिसका प्रकाशन किसी न्यायालय अथवा न्यायाधिकरण द्वारा निषिद्ध किया गया हो अथवा जिसके प्रकटन से न्यायालय की अवमानना हो;
  • वह सूचना जिसके प्रकटन से संसद अथवा राज्य विधानमंडल का विशेषाधिकार-भंग हो;
  • वह सूचना जिसमें वाणिज्य गोपनीयता, व्यापार-गोपनीयता अथवा बौद्धिक सम्पदा शामिल है, जिसके प्रकटन से तीसरी पार्टी की प्रतिस्पर्धा स्थिति को क्षति पहुंचे, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी इस बात से संतुष्ट न हो कि वृहत जनहित में इस प्रकार की सूचना का प्रकटन किया जाना चाहिए;
  • वह सूचना जो व्यक्ति को उसके न्यासी संबंध में उपलब्ध होती है, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी इस बात से संतुष्ट न हो कि वृहत जनहित में इस प्रकार की सूचना का प्रकटन किया जाना चाहिए;
  • विदेशी सरकार से प्राप्त गोपनीय सूचना;
  • वह सूचना जिसके प्रकटन से किसी व्यक्ति के जीवन अथवा शारीरिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है अथवा विधि प्रवर्तन और सुरक्षा उद्‌देश्यों से गोपनीय रूप से प्रदान की गई सहायता अथवा सूचना के स्रोत पहचान में आ जाए;
  • वह सूचना जिससे छानबीन की प्रक्रिया अथवा अपराधी की गिरफ्तारी और अभियोजन में अड़चन आए;
  • मंत्रिमंडल के दस्तावेज जिसमें मंत्रिपरिषद, सचिवों तथा अन्य अधिकारियों के विचार-विमर्श के रिकार्ड हों;
  • वह सूचना जो कि व्यक्तिगत सूचना से संबंधित हो जिसके प्रकटन का जनहित से कोई संबंध न हो अथवा जिससे किसी व्यक्ति की गोपनीयता में अनुचित हस्तक्षेप हो;
  • उपरोक्त किसी भी छूट के बावजूद, सार्वजनिक प्राधिकरण सूचना प्राप्त करने की अनुमति दे सकता है यदि प्रकटन से जनहित में संरक्षित हितों की हानि प्रभावी हो रही हो।

रिकार्ड का केवल वह भाग उपलब्ध कराया जा सकता है, जिसमें ऐसी कोई सूचना न हो जिसे प्रकटन से छूट मिली हो तथा छूट प्राप्त सूचना के किसी भी भाग से उचित रूप से दी जा सके।

इसका तात्पर्य है कोई भी अर्धसरकारी प्राधिकरण, निकाय अथवा संस्थान जिसकी स्थापना अथवा गठन निम्नलिखित में से किसी के द्वारा किया गया हो :- [एस 2 (एच)]

  • संविधान के तहत्‌ या उसके द्वारा ;
  • संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा;
  • राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा;
  • समुचित सरकार द्वारा जारी अधिसूचना अथवा आदेश द्वारा तथा जिसमें शामिल है :-
  • क. स्वामित्वाधीन, नियंत्रित अथवा पर्याप्त वित्तपोषित निकाय।
  • ख. गैर सरकारी संगठन जो उपयुक्त सरकार द्वारा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से पर्याप्त वित्तपोषित हो।

दूसरी सूची में विनिद्रिष्ट केंद्रीय आसूचना तथा सुरक्षा एजेंसियों जैसे आसूचना ब्यूरो, रॉ, राजस्व आसूचना निदेशालय, केंद्रीय आर्थिक आसूचना ब्यूरो, प्रवर्त्तन निदेशालय, स्वापक नियंत्रण ब्यूरो, विमानन अनुसंधान केंद्र, विशेष फ्रंटीयर बल, सी.सु.ब., कें.रि.पु.ब., भा.ति.सी.ब., के.औ.सु.ब., रा.सु.गा., असम राइफल्स, विशेष सेवा ब्यूरो, विशेष शाखा (सी.आई.डी.),अंडमान तथा निकोबार, अपराध-शाखा-सी.आई. डी.-सी.बी., दादर तथा नागर हवेली और विशेष शाखा, लक्षद्वीप पुलिस, राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना के माध्यम से विनिद्रिष्ट ऐजेसियों को भी छूट दी जाती है। यह छूट हालांकि पूर्ण रूप से नहीं है तथा यह संगठन भ्रष्टाचार तथा मानवाधिकार हनन से संबंधित सूचना उपलब्ध कराने के लिए बाध्य है। केंद्रीय अथवा राज्य सूचना आयोग के अनुमोदन से मानवाधिकार मूल्यांकन के अभिकथन से संबंधित सूचना दी जा सकती है, जैसा भी मामला हो। :- [एस 24]

तृतीय पत्रकार से तात्पर्य है सूचना के लिए आवेदन देने वाले नागरिक के अलावा कोई व्यक्ति तथा इसमें सार्वजनिक प्राधिकरण भी शामिल है। तीसरे पत्रकार को, सूचनाओं के संबंध में सरकार के समक्ष गोपनीय रूप से प्रस्तुत किए गए आवेदनों तथा अपीलों के संदर्भ में सुनवाई का अधिकार है। :- [एस 2 (एन) ] तथा [एस11]

जन सूचना अधिकारी वे अधिकारी हैं जो अधिनियम के तहत्‌ नागरिक द्वारा सूचना के लिए अनुरोध पर सूचना प्रदान करने के लिए सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा सभी प्रशासनिक इकाइयों अथवा कार्यालयों में नियुक्त किए जाते हैं। जन सूचना अधिकारी द्वारा उसके कर्त्तव्यों के निर्वहन के लिए किसी भी अधिकारी की सहायता की आवश्यकता होने पर पूरी सेवाएं देनी चाहिए तथा इस अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन को रोकने के उद्‌देश्य से ऐसे अधिकारी जन सूचना अधिकारी ही माने जाएंगे।

  • जन सूचना अधिकारी उन लोगों के अनुरोध पर कार्रवाई करता है जो सूचना पाना चाहते हैं तथा जहां अनुरोध लिखित में नहीं किया जा सकता है वहां व्यक्ति को अनुरोध लिखित में उपलब्ध कराने के लिए समुचित सहायता प्रदान करता है।
  • जिस सूचना का अनुरोध किया गया है यदि वो अथवा उसकी विषय-वस्तु किसी अन्य सार्वजनिक प्राधिकरण की कार्यप्रणाली से संबंधित हो तो जन सूचना अधिकारी को 5 दिनों के अंदर अनुरोध उस अन्य सार्वजनिक प्राधिकारी को हस्तांतरित कर देना चाहिए तथा आवेदक को तुरंत सूचित करना चाहिए।
  • जन सूचना अधिकारी अपने कर्त्तव्यों के समुचित निर्वहन के लिए किसी अन्य अधिकारी की सहायता ले सकता है।
  • अनुरोध की प्राप्ति पर जन सूचना अधिकारी, जितना शीघ्र हो सके तथा किसी भी मामले में अनुरोध की प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर या तो निर्धारित फीस के भुगतान पर सूचना उपलब्ध कराए अथवा एस. 8 व एस. 9 में विनिद्रिष्ट कारणों में से किसी कारण से अनुरोध को खारिज करे।
  • जहां अनुरोध की गई सूचना व्यक्ति के जीवन अथवा स्वतंत्रता से संबंधित हो वहां सूचना अनुरोध की प्राप्ति के 48 घंटों के भीतर उपलब्ध करानी चाहिए।
  • यदि जन सूचना अधिकारी निर्धारित अवधि में अनुरोध पर निर्णय नहीं दे पाता है तो यह माना जाएगा कि उसने अनुरोध अस्वीकृत कर दिया है।
  • जहां अनुरोध खारिज कर दिया गया हो वहां जन सूचना अधिकारी द्वारा अनुरोधकर्त्ता को (।) इस प्रकार की नामंजूरी का कारण (॥) इस प्रकार की नामंजूरी के विरुद्ध अपील करने की अवधि तथा (॥।) अपील प्राधिकरण का विवरण सम्प्रेषित किया जाना चाहिए।
  • जन सूचना अधिकारी को सूचना अपेक्षित प्रारूप में उपलब्ध करानी चाहिए अन्यथा वो सार्वजनिक प्राधिकरण के संसाधनों का असंगत रूप से अपर्वतन कर देगा अथवा प्रश्नगत रिकार्ड के संरक्षण की सुरक्षा के लिए हानिकारक होगा।
  • यदि आंशिक अभिगमन की अनुमति हो तो जन सूचना अधिकारी को अभ्यर्थी को नाटिस देते हुए सूचित करना चाहिए कि :-
  • क. प्रकटन से जिस रिकार्ड को छूट मिली है उसमें सूचना के पृथ्कीकरण के बाद केवल वह हिस्सा उपलब्ध कराया गया है जिसका अनुरोध किया गया है;
  • ख. निर्णय के कारण, तथ्यों के प्रश्नों पर किसी भी सामग्री पर निष्कर्ष, तथा उस सामग्री का संदर्भ जिसके आधार पर निष्कर्ष किया गया है;
  • ग. निर्णय लेने वाले व्यक्ति का नाम तथा पदनाम;
  • घ. उसके द्वारा परिकलित फीस का विवरण तथा फीस की राशि जो कि अभ्यार्थी को जमा करानी है; तथा
  • ड. सूचना के भाग के अप्रकटन से संबंधित निर्णय के पुनर्विलोकन के संबंध में उसका अधिकार, प्रभारित फीस की राशि तथा फार्म उपलब्ध कराया गया है।
  • यदि अपेक्षित सूचना तीसरे पक्षकार द्वारा प्रदान की गई है अथवा उसे उस तीसरे पक्षकार द्वारा गोपनीय समझा गया है तो जन सूचना अधिकारी को अनुरोध की प्राप्ति के 5 दिनों के भीतर तीसरे पक्षकार को लिखित नोटिस देना चाहिए तथा उसके अभ्यावेदन पर विचार करना चाहिए।
  • अपेक्षित सूचना के विवरण को विनिद्रिष्ट करते हुए जन सूचना अधिकारी को अंग्रेजी, हिंदी अथवा उस क्षेत्र की राजभाषा में लिखित में अथवा यांत्रिक माध्यम से आवेदन करें।
  • सूचना प्राप्त करने के कारण देने की आवश्यकता नहीं है;
  • निर्धारित फीस का भुगतान करें (यदि गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में नहीं आते हैं तो)
  • आवेदन की तिथि से 30 दिन
  • व्यक्ति के जीवन तथा स्वतंत्रता से संबंधित सूचना के लिए 48 घंटे
  • यदि सूचना के लिए आवेदन सहायक जन सूचना अधिकारी को दिया गया है तो जवाब देने के उपरोक्त समय में 5 दिन जोड़ दिए जाएंगे
  • यदि तीसरी पार्टी का ध्येय भी शामिल है तो समय सीमा 40 दिन होगी (अधिकतम अवधि + पार्टी को अभ्यावेदन करने के लिए दिया गया समय)
  • विनिद्रिष्ट अवधि में सूचना उपलब्ध न करा पाने के मामले में उसे अस्वीकृत समझा जाएगा।
  • आवेदन शुल्क निर्धारित की जानी चाहिए जो कि समुचित हो।
  • यदि आगे शुल्क की आवश्यकता हो तो उसे आंकड़ों के विवरण के परिकलन के साथ लिखित में सूचित किया जाना चाहिए।
  • अभ्यर्थी समुचित अपीलीय प्राधिकरण को आवेदन करके जन सूचना अधिकारी द्वारा प्रभारित शुल्क के निर्णय का पुनर्विलोकन कर सकता है।
  • गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों से कोई फीस नहीं ली जाएगी।
  • यदि जन सूचना अधिकारी निर्धारित समय-सीमा का अनुपालन नहीं कर पाता है तो आवेदक को सूचना मुफ्त उपलब्ध करानी चाहिए।
  • यदि यह प्रकटन से छूट के भीतर आता है। [(एस 8)]
  • यदि यह राज्य के अलावा किसी व्यक्ति के स्वत्वाधिकार का उल्लंघन करता है। [(एस 9)]
  • प्रथम अपीलः- निर्धारित समय सीमा के समाप्त होने अथवा निर्णय की प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर संबंधित सार्वजनिक प्राधिकरण के जन सूचना अधिकारी से वरिष्ठ श्रेणी के अधिकारी को प्रथम अपील की जाती है। (यदि समुचित कारण हो तो देरी को अपीलीय प्राधिकरण द्वारा माफ किया जा सकता है)
  • द्वितीय अपील :- निर्णय लिए जाने अथवा प्रथम अपीलीय प्राधिकरण द्वारा दिए गए निर्णय के 90 दिनों के भीतर केंद्रीय सूचना आयोग अथवा राज्य सूचना आयोग, जैसा भी मामला हो, को द्वितीय अपील की जाती है। (यदि समुचित कारण हो तो देरी को आयोग द्वारा माफ किया जा सकता है)
  • जन सूचना अधिकारी के निर्णय के विरुद्ध तीसरे पक्षकार की अपील प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष 30 दिनों के भीतर कर दी जानी चाहिए ; तथा प्रथम अपील के निर्णय के 90 दिनों के भीतर समुचित सूचना आयोग जो कि द्वितीय अपील प्राधिकरण है उसके समक्ष की जानी चाहिए।
  • सूचना की मनाही का न्यायोचित होना सिद्ध करने का दायित्व लोक सूचना अधिकारी का है।
  • प्राप्ति की तिथि से 30 दिनों के भीतर प्रथम अपील का निपटान हो जाना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो अवधि को 15 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। (एस 19)
  • केंद्र सरकार द्वारा राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से केंद्रीय सूचना आयोग का गठन किया जाता है।
  • आयोग में एक मुखय सूचना आयुक्त (सी.आई.सी.) तथा अधिक से अधिक 10 सूचना आयुक्त (आई सी) शामिल होते हैं जिन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • प्रथम सूची में दिए गए प्रपत्र के अनुसार पद-शपथ भारत के राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित होती है।
  • आयोग का मुखयालय दिल्ली में स्थित है। केंद्र सरकार के अनुमोदन से देश के अन्य भागों में अन्य कार्यालय स्थापित किए जा सकते हैं।
  • किसी अन्य प्राधिकरण के निदेशों के अधीन न होते हुए आयोग अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सकता है। [(एस.12)]
  • 1. सी.आई.सी./आई.सी. के लिए उम्मीदवार समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति होने चाहिए जिन्हें विधि, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंधन, पत्रकारिता, जन सम्पर्क अथवा प्रशासन और शासन का विस्तृत ज्ञान तथा अनुभव होना चाहिए।
  • 2. सी.आई.सी./आई.सी. को संसद सदस्य अथवा किसी भी राज्य अथवा संघ शासित क्षेत्र के विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिए। उसके पास कोई लाभ का पद नहीं होना चाहिए, उसे किसी राजनैतिक दल से संबंधित नहीं होना चाहिए अथवा कोई व्यापार व्यवसाय अथवा संव्यवसाय नहीं करना चाहिए।
  • 3. नियुक्ति समिति में प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), लोकसभा में विपक्ष के नेता तथा प्रधानमंत्री द्वारा नामित संघ के मंत्रिमंडल का एक मंत्री शामिल होते हैं।
  • सी.आई.सी. कार्यालय में प्रवेश करने की तिथि से 5 वर्षों की अवधि अथवा 65 वर्ष की आयु सीमा तक नियुक्त किया जाता है, इनमें से जो भी पहले हो।
  • सी.आई.सी. पुः नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होता है।
  • वेतन मुखय चुनाव आयुक्त के वेतन के समान ही होता है। सेवा के दौरान सी.आई. सी. की असुविधा को देखते हुए इसे परिवर्तित नहीं किया जाता है। ([एस.13)]
  • 1. आई.सी. कार्यालय में प्रवेश करने की तिथि से 5 वर्षों की अवधि अथवा 65 वर्ष की आयु सीमा तक नियुक्त किया जाता है, इनमें से जो भी पहले हो तथा आई.सी. के पद पर पुनःनियुक्ति के लिए पात्र नहीं होता है।
  • 2. वेतन चुनाव आयुक्त के वेतन के समान ही होता है। सेवा के दौरान आई.सी. की असुविधा को देखते हुए इसे परिवर्तित नहीं किया जाता है।
  • 3.आई.सी. सी.आई.सी के पद के लिए पात्र होता है किंतु आई.सी. के पद के अपने कार्यकाल के सहित कुल 5 वर्ष से अधिक अवधि के लिए कार्यभार नहीं संभाल सकता है।
  • राज्य सरकार द्वारा राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से राज्य सूचना आयोग का गठन किया जाता है। इसमें एक राज्य मुखय सूचना आयुक्त (एस.सी.आई.सी.) तथा अधिक से अधिक 10 राज्य सूचना आयुक्त (एस.आई.सी.) शामिल होते हैं जिन्हें राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • प्रथम सूची में दिए गए प्रपत्र के अनुसार पद शपथ राज्यपाल द्वारा निर्देशित होती
  • राज्य सूचना आयोग का मुखयालय राज्य सरकार द्वारा निद्रिष्ट स्थान पर होता है। राज्य सरकार के अनुमोदन से राज्य के अन्य भागों में अन्य कार्यालय स्थापित किए जा सकते हैं।
  • किसी अन्य प्राधिकरण के अधीन न होते हुए आयोग अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सकता है।

चयन समिति का अध्यक्ष मुखयमंत्री होता है। अन्य सदस्यों में विधानमंडल में विपक्ष के नेता तथा मुखयमंत्री द्वारा नामित मंत्रीमंडल का एक मंत्री शामिल है। एस.सी.आई.सी./एस.आई.सी. की नियुक्ति के लिए योग्यता केंद्र आयुक्त की योग्यता के समान ही है। राज्य मुखय सूचना आयुकत का वेतन चुनाव आयुक्त के वेतन के बराबर होता है। राज्य सूचना आयुक्त का वेतन राज्य सरकार के मुखय सचिव के वेतन के समान होता है। (एस.15)

  • केंद्रीय सूचना आयुक्त/राज्य सूचना आयुकत का कर्त्तव्य है किसी भी ऐसे व्यक्ति से शिकायत प्राप्त करना :-
  • (क) जो जन सूचना अधिकारी की नियुक्ति न होने के कारण सूचना का अनुरोध नहीं कर पाते हैं;
  • (ख) जिसने उस सूचना को अस्वीकार कर दिया हो जिसका अनुरोध किया गया था;
  • (ग) जिसे निर्धारित समय सीमा के भीतर उसके द्वारा अनुरोध की गई सूचना पर कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ;
  • (घ) जिसे लगता हो कि प्रभारित फीस अनुचित है;
  • (ड़) जिसे लगता हो कि दी गई सूचना अधूरी, गलत तथा गुमराह करती है; तथा
  • (च) इस कानून के तहत्‌ अन्य कोई मामला जो सूचना प्राप्त करने से संबंधित हो।
  • यदि कोई समुचित आधार हो तो छानबीन के आदेश देने की शक्ति।
  • सी.आई.सी./एस.सी.आई.सी. को दीवानी कचहरी की शक्ति होती है जैसे कि :-
  • (क) व्यक्ति को समन जारी करना तथा हाजिरी के लिए बाध्य करना, शपथ पर मौखिक अथवा लिखित साक्ष्य देने तथा दस्तावेज व वस्तुएं प्रस्तुत करने के लिए बाध्य करना;
  • (ख) दस्तावेजों की खोज तथा निरीक्षण करने की आवश्यकता;
  • (ग) हलफनामें पर साक्ष्य प्राप्त करना;
  • (घ) किसी भी न्यायालय अथवा कार्यालय से सार्वजनिक रिकार्ड अथवा प्रतियों की मांग;
  • (ड़) गवाहों अथवा दस्तावेजों को परिक्षण के लिए समन जारी करना;
  • (च) कोई अन्य मामला जो कि निर्धारित हो।
  • इस कानून के तहत्‌ आने वाले सभी दस्तावेज (जिन्हें छूट मिली है उन्हें भी शामिल करते हुए) जांच के दौरान परीक्षण के लिए सी.आई.सी/एस.सी.आई.सी. को दिए जाने चाहिए।
  • उसके निर्णय का सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा अनुपालन सुनिश्चित करने की शक्ति में शामिल है :-
  • (क) विशिष्ट प्रारूप में सूचना उपलब्ध कराना;
  • (ख) जहां जन सूचना अधिकारी/सहायक जनसूचना अधिकारी नहीं है वहां उन्हें नियुक्त करने के लिए सार्वजनिक प्राधिकरण को निदेश देना;
  • (ग) सूचना अथवा सूचना की श्रेणियां प्रकाशित करना;
  • (घ) रिकार्ड के प्रबंधन, रख-रखाव अथवा नष्ट करने से संबंधित पद्धति में आवश्यक परिवर्तन करना;
  • (ड.) आर.टी.आई. पर अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण के प्रावधान को बढ़ावा देना;
  • (च) इस कानून के अनुपालन पर सार्वजनिक प्राधिकरण से वार्षिक रिपोर्ट मांगना;
  • (छ) अभ्यार्थी को हुए किसी भी प्रकार के नुकसान अथवा हानि की क्षतिपूर्ति के लिए इसकी आवश्यकता है;
  • (ज) इस कानून के तहत्‌ जुर्माना लगाना; अथवा
  • (झ) आवेदन खारिज करना। (एस18 तथा एस19)
  • केंद्रीय सूचना आयोग इस कानून के प्रावधानों के क्रियान्वयन की वार्षिक रिपोर्ट वर्ष के अंत में केंद्र सरकार को भेजता है। राज्य सूचना आयोग अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजता है।
  • प्रत्येक मंत्रालय का कर्त्तव्य है अपने सार्वजनिक प्राधिकरणों से रिपोर्ट संकलित करके केंद्रीय सूचना आयोग अथवा राज्य सूचना आयोग को भेजे, जैसा भी मामला हो।
  • प्रत्येक रिपोर्ट में हर सार्वजनिक प्राधिकरण द्वारा प्राप्त किए गए इस अनुरोधों की संखया, खारिज तथा अपीलों की संखया, की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही का विवरण, फीस की राशि तथा एकत्र किए गए प्रभारों इत्यादि का ब्योरा होता है।
  • प्रत्येक वर्ष के अंत में केंद्रीय सूचना आयोग की रिपोर्ट को केंद्र सरकार संसद के समक्ष प्रस्तुत करती है। संबंधित राज्य सरकार राज्य सूचना आयोग की रिपोर्ट विधानसभा के समक्ष प्रस्तुत करती है (तथा जहां विधान परिषद हो वहां उसके समक्ष)। (एस.25)

प्रत्येक जन सूचना अधिकारी 250 रु. प्रति दिन से लेकर अधिकतम रु. 25,000/- तक के जुर्माने के लिए जिम्मेदार होता है यदि उसने :-

  • आवेदन स्वीकार नहीं किया;
  • बिना किसी समुचित कारण के सूचना जारी करने में देरी की हो;
  • सूचना देने से दुर्भावनावश इंकार किया हो;
  • जानबूझ कर अधूरी, गलत तथा गुमराह करने वाली सूचना दी हो;
  • जिस सूचना का अनुरोध किया गया हो उसे नष्ट किया हो;
  • किसी भी रूप से सूचना उपलब्ध कराने में अड़चन पैदा की हो।

केंद्र तथा राज्य स्तर पर सूचना आयुक्त (आई.सी.) को यह जुर्माना लगाने का अधिकार होता है। सूचना आयुक्त कानून की अवहेलना करने पर भ्रष्ट जन सूचना अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की संस्तुति भी कर सकता है।

निचली अदालतों को इस अधिनियम के तहत्‌ बनाए गए किसी भी आदेश के खिलाफ किसी मुकद्‌मे अथवा आवेदन पर विचार करने का अधिकार नहीं है। (एस.23) हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 32 तथा 225 के तहत्‌ सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र अप्रभावित रहता है।

  • आर.टी.आई. पर जनता विशेषकर असुविधाग्रस्त समुदाय के लिए शैक्षिक कार्यक्रम तैयार करना।
  • इस प्रकार के कार्यक्रमों के विकास तथा आयोजन में सार्वजनिक प्राधिकरणों को भागीदारी के लिए बढ़ावा देना।
  • जनता को समय से सही सूचना पहुंचाने के लिए बढ़ावा देना।
  • अधिकारियों को प्रशिक्षित करना तथा प्रशिक्षण सामग्री तैयार करना।
  • जनता के लिए उपभोक्ता संदर्र्शिका का क्रमशः राजभाषा में संकलन तथा प्रचार करना।
  • जन सूचना अधिकारी का नाम, पदनाम, पता तथा संपर्क विवरण तथा अन्य सूचनाएं जैसे कि भुगतान की जाने वाली फीस से संबंधित नोटिस, यदि अनुरोध खारिज हो गया हो तो कानून में उपलब्ध प्रावधान इत्यादि प्रकाशित करना।

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों को कार्यान्वित करने के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा एस 2(ई) में परिभाषित सक्षम प्राधिकारी को नियम बनाने की शक्तियां प्रदत्त की गई हैं।

इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में यदि कोई मुश्किल आती है तो केंद्र सरकार राजपत्र में आदेश प्रकाशित करके उस मुश्किल को खत्म करने के लिए आवश्यक/समीचीन प्रावधान बना सकता है। (एस 30)

विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत्‌ सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया/फीस संरचना

  • विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय ने निदेशालय स्तर पर एक केंद्रीय जन सूचना अधिकारी तथा गुवाहाटी और बेंगलूरू स्थित क्षेत्रीय कार्यालयों में सहायक केंद्रीय जन सूचना अधिकारी नियुक्त किए हैं जिनके सम्पर्क विवरण विभाग अपील प्राधिकरण के विवरण के साथ इस पुस्तिका के अध्याय v॥। में दिया गया है।
  • सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत्‌ जो व्यक्ति कोई सूचना प्राप्त करना चाहता है उसे अंग्रेजी अथवा हिंदी अथवा जिस क्षेत्र में आवेदन (अनुलग्नक '॥।') किया जाना है वहां की राजभाषा में लिखित अथवा यांत्रिक माध्यम में निर्धारित फीस के साथ केंद्रीय जन सूचना अधिकारी अथवा सहायक केंद्रीय जन सूचना अधिकारी को अनुरोध करना होता है साथ ही उसके द्वारा अपेक्षित सूचना का विवरण विनिद्रिष्ट करते हुए निदेशालय के सूचना तथा सुविधा पटल पर प्रातः 11.00 बजे से सांय 4.00 बजे तक जमा करना होता है।
  • सूचना प्राप्त करने के अनुरोध के साथ समुचित प्राप्ति लेकर रोकड़ द्वारा अथवा लेखा अधिकारी, विदृप्रनि को देय डिमांड ड्राफ्ट अथवा बैंकर्स चैक द्वारा रु. 10 के आवेदन शुल्क होना चाहिए।
  • गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों से कोई फीस नहीं ली जाएगी। इस प्रकार के सभी व्यक्तियों को इस संबंध में सक्षम प्राधिकारी से साक्ष्य उपलब्ध कराना होगा।
  • सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन पत्र निदेशालय के सूचना एवं सुविधा काउंटर पर उपलब्ध कराया गया है, जो तीसरी मंजिल, पीटीआई भवन, संसद मार्ग, नई दिल्ली -1 पर स्थित है और निदेशालय की वेबसाइट (http://www) पर भी उपलब्ध है। .davp.nic.in) जिसे डाउनलोड कर आवेदन शुल्क के साथ जमा किया जा सकता है।।
  • जो व्यक्ति आवेदन पत्र प्राप्त करता है उसे आवेदन पत्र की प्राप्ति देनी चाहिए तथा आवेदक को निर्धारित दिनांक तथा समय पर विभाग को सम्पर्क करने का सुझाव देना चाहिए। यदि आवेदक निर्धारित तिथि तक सम्पर्क नहीं करता है तो किसी भी प्रकार की देरी के लिए सक्षम प्राधिकारी जिम्मेदार नहीं होगा।
  • आवेदक को, जिस माध्यम से सूचना प्राप्त की गई है उसकी लागत के लिए निर्धारित अतिरिक्त फीस का भुगतान करना होता है। सूचना उपलब्ध कराने के लिए निर्धारित फीस समुचित प्राप्ति लेकर रोकड़ द्वारा अथवा लेखा अधिकारी, विदृप्रनि को देय डिमांड ड्राफ्ट अथवा बैंकर्स चैक द्वारा ली जाएगी जो कि निम्नानुसार है :-
  • (क) बनाए गए अथवा प्रतिलिपि के दो रुपये प्रति पेज (ए-4 तथा ए-3 आकार के पेपर में)।
  • (ख) बड़े आकार के पेपर में कॉपी का वास्तविक प्रभार अथवा लागत मूल्य।
  • (ग) नमूनों की वास्तविक लागत अथवा मूल्य।
  • (घ) रिकार्ड के निरीक्षण के लिए पहले घंटे के लिए कोई फीस नहीं ली जाती है तथा उसके बाद प्रत्येक पंद्रह मिनट (खड) के लिए फीस अथवा पांच रुपये लिए जाएंगे।
  • (ड.) डिस्क अथवा फ्लॉपी में सूचना उपलब्ध कराने के लिए रुपये पचास प्रति डिस्क अथवा फ्लॉपी, तथा
  • (च) मुद्रित रूप में सूचना उपलब्ध कराने के लिए इस प्रकार के प्रकाशन के लिए निर्धारित मूल्य अथवा प्रकाशन में से अंश की प्रतिलिपि के लिए दो रुपये प्रति पेज।
  • अनुरोध प्राप्त करने/सूचना उपलब्ध कराने के लिए काउंटर सभी कार्य दिवसों में प्रातः 11.00 बजे से सांय 4.00 बजे तक खुला रहेगा (सोमवार से शुक्रवार तक शनिवार, रविवार तथा राजपत्रित अवकाश को छोड़कर)।
  • अभ्यार्थी को सूचना के बारे में विशिष्ट विवरण देने की सलाह दी जाती है जैसे कि अपेक्षित सूचना का विवरण/ब्योरा, जिस अवधि के लिए सूचना मांगी गई इत्यादि तथा अनुरोध की प्रोसेसिंग के लिए सम्पर्क ब्योरा।
  • केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी सूचना मांगने वाले व्यक्तियों के अनुरोध पर कार्रवाई करेगा और उन्हें उचित सहायता प्रदान करेगा। सूचना सामान्यत: आवेदन प्राप्त होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर प्रदान की जाएगी और यदि यह पाया जाता है कि मांगी गई जानकारी की आपूर्ति नहीं की जा सकती है, तो इसके कारणों को बताते हुए एक अस्वीकृति पत्र जारी किया जाएगा।
  • जिस व्यक्ति को निर्धारित समय में निर्णय प्राप्त नहीं हुआ अथवा जो केंद्रीय जन सूचना अधिकारी के निर्णय से संतुष्ट नहीं है वह इस अवधि की समाप्ति से 30 दिनों के भीतर विभागीय अपील प्राधिकारी के समक्ष अपील कर सकता है जिसका सम्पर्क विवरण अध्याय VIII में दिया गया है।